इन 5 वजहों से दिल्ली में अरविंद केजरीवाल को चुनौती देने में सक्षम है स्मृति ईरानी

 

इन 5 वजहों से दिल्ली में अरविंद केजरीवाल को चुनौती देने में सक्षम है स्मृति ईरानी

Smriti Iraniभारतीय जनता पार्टी स्मृति ईरानी की लोकप्रियता और जुझारू व्यक्तित्व के सहारे पार्टी आम आदमी पार्टी (आप) को कड़ी चुनौती देना चाहती है। सत्येंद्र जैन मनी लांड्रिंग प्रकरण में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व अन्य आप नेताओं के जवाब देने के लिए पार्टी ने उन्हें मैदान में उतार दिया है।

नई दिल्ली Anuradha Aggarwal । दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तारी के बाद से केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी की सक्रियता देखकर चर्चा का दौर शुरू हो गया है। राजनीतिक हलकों में अंदाजा लगाया जा रहा है कि भाजपा नेतृत्व उन्हें दिल्ली में पार्टी का चेहरा बनाने की तैयारी कर रहा है। 

ये 5 चीजें हैं स्मृति ईरानी के पक्ष में

  •  स्थानीय होना: स्मृति ईरानी दिल्ली में पैदा हुईं और यहीं से शिक्षा ग्रहण की।
  •  अच्छी वक्ता: स्मृति ईरानी एक अच्छी वक्ता है। वह कई बार भारतीय जनता पार्टी की ओर से पत्रकार वार्ता के दौरान मुखर होकर अपनी बात रखती हैं।
  • महिला नेता होना: दिल्ली में महिला मतदाता मुखर होकर वोट करती हैं। वह परिवार के मुखिया के इतर सोचकर मतदान करने में विश्वास रखती हैं। ऐसे में स्मृति ईरानी मतदाताओं पर गहरा असर डाल सकती है।
  • जुझारू होना : स्मृति ईरानी की जुझारू छवि देश ने देखी है। किस तरह उन्होंने अमेठी मेे राहुल गांधी को हराया।
  • छवि: सुषमा स्वराज के निधन के बाद स्मृति ईरानी को विकल्प के तौर पर देखा रहा है। स्मृति ईरानी भी बेबाक ढंग से अपनी बात रखती हैं।

भाजपा वर्ष 1998 से दिल्ली की सत्ता से दूर है। सत्ता का वनवास दूर करने के लिए पार्टी को दिल्ली में केजरीवाल को मजबूत टक्कर देने वाले नेता की तलाश है। पार्टी ने भोजपुरी के लोकप्रिय कलाकार और सांसद मनोज तिवारी को यहां अपना चेहरा बनाने की कोशिश की। पार्टी नेतृत्व को उम्मीद थी कि पुरबिया मतदाताओं के सहारे अरविंद केजरीवाल को मात देने में वह सफल रहेंगे, लेकिन यह संभव नहीं हुआ।

वर्ष 2017 में नगर निगम चुनाव में भाजपा को जीत मिली, लेकिन विधानसभा चुनाव में पार्टी केजरीवाल का मुकाबला करने में असफल रही। मनोज तिवारी तिवारी के बाद पार्टी ने आदेश गुप्ता को दिल्ली की कमान सौंपी। इस बदलाव के बावजूद आप को घेरने में भाजपा अब तक सफल नहीं रही है। इसका एक कारण पार्टी की गुटबाजी है। सभी सांसदों व वरिष्ठ नेताओं को एकजुट कर वह आप की राह मुश्किल करने में सफल नहीं हुए हैं। दूसरी ओर, पंजाब में जीत के बाद आप अब भाजपा शासित हिमाचल प्रदेश व गुजरात में अपना विस्तार करने में जुट गई है।

भाजपा नेताओं का कहना है कि इन राजनीतिक हालात में स्मृति का चेहरा पार्टी के लिए लाभदायक होगा। उन्होंने जिस तरह से गांधी परिवार को उनके घर में घेरा और अमेठी में राहुल को हराने में भी सफल रहीं, इससे राजनीति में उनका कद पहले से ही बढ़ा हुआ है। वह दिल्ली की रहने वाली हैं, खत्री पंजाबी हैं और सेलिब्रिटी भी हैं। प्रखर वक्ता होने के साथ ही जनता के बीच अपनी बात पहुंचाने में सफल रहती हैं। अमेठी में उनकी छवि जुझारू नेता की बनी है।

उनका जन्म दिल्ली में ही खत्री पंजाबी परिवार में हुआ है। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के खिलाफ चांदनी चौक में उतारा था। हालांकि, उस समय स्मृति चुनाव हार गई थीं, लेकिन उसके बाद से उनकी छवि एक मजबूत नेता के रूप में उभरी है। पंजाबी भाजपा का परंपरागत वोट बैंक है, लेकिन आप इसमें सेंध लगाने में सफल रही है। ऐसा माना जा रहा है कि पंजाबियों के साथ ही अन्य वर्गों, विशेषकर महिलाओं को भी पार्टी के साथ जोड़ने में सफल साबित होंगी।

नई आबकारी नीति के खिलाफ भी उन्होंने दिल्ली में वर्चुअल रैली की थी। नगर निगमों के एकीकरण की घोषणा के बाद चुनाव टालने के मुख्यमंत्री के आरोप पर भी उन्होंने पलटवार किया था। दिल्ली की राजनीति में पहले से सक्रिय नहीं रहने के कारण यहां की गुटबाजी से भी वह दूर हैं। इससे सभी नेताओं को एकजुट करने में भी मदद मिलेगी। ऐसा माना जा रहा है कि इन्हीं पहलुओं को देखते हए पार्टी नेतृत्व दिल्ली में उनकी सक्रियता बढ़ा रहा है।