राष्ट्रपति चुनाव से पहले ममता बनर्जी की बुलाई बैठक से AAP की दूरी के मायने

 

Presidential Election 2022: राष्ट्रपति चुनाव से पहले ममता बनर्जी की बुलाई बैठक से आम आदमी पार्टी की दूरी के मायने

Presidential Election 2022 राष्ट्रपति चुनाव 2022 को लेकर तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी की ओर से बुधवार को बुलाई गई बैठक में आम आदमी पार्टी की ओर से कोई भी शामिल नहीं हुआ जबकि ममता और अरविंद केजरीवाल के बीच ठीकठीक राजनीतिक रिश्ते हैं।

​​नई दिल्ली,  डिजिटल डेस्क। राष्ट्रपति चुनाव 2022 बेहद दिलचस्प होने जा रहा है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी की सक्रियता के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममत बनर्जी ने भी मोर्चा संभाल लिया है। बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति चुनाव में वह भारतीय जनता पार्टी से दो-दो हाथ करने के मूड़ में हैं। इसी के मद्देनजर टीएमसी (TMC) की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को विपक्षी पार्टियों की बैठक बुलाई, लेकिन ज्यादातर विपक्षी दलों ने इससे दूरी बना ली।

दिल्ली और पंजाब में सत्तासीन आम आदमी पार्टी ने भी ममता बनर्जी की बैठक में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया है। ममता द्वारा बुलाई गई गैर भारतीय जनता पार्टी दलों की बैठक से आम आदमी पार्टी की दूरी के कई मायने निकाले जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि राष्ट्रपति चुनाव में उम्मदीवारों के ऐलान के बाद ही AAP अपने पत्ते खोलेगी। 

ममता बनर्जी की बैठक से आम आदमी पार्टी द्वारा दूरी बनाने पर डा. हरेन्द्र कुमार सिंह (एसोसिएट प्रोफ़ेसर, दिल्ली विश्वविद्यालय) का कहना है कि अरविंद केजरीवाल इस बैठक में जो तवज्जो चाहते हैं वह मुमकिन नहीं है। ऐसे में उन्होंने ममता की बैठक से दूरी बनाना ही मुनासिब समझा।

उधर, ममता बनर्जी भी अरविंद केजरीवाल को अधिक तवज्जो देने के मूड़ में नहीं हैं। ऐसे में वह आम आदमी पार्टी से बैठक में शामिल नहीं होने से कुछ खास परेशान भी नहीं हैं। 

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दरअसल, इस बैठक में तेलंगाना राष्ट्र समिति के प्रमुख और तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर की ओर से भी ममता बनर्जी की ओर से बुलाई गई विपक्ष की बैठक में कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं हुआ। ऐसे इसका यह मतलब नहीं है कि वह राष्ट्रपति चुनाव में भी इसी तरह रुख रखेंगे, क्योंकि अरविंद केजरीवाल, केसीआर समेत कई नेता ऐसे हैं, जो भारतीय जनता पार्टी से परेशान हैं। वह लगातार भाजपा का मुखर होकर विरोध करते रहे हैं।

वहीं, हैरान करने वाली बात यह भी है कि केसीआर ने सबसे पहले संयुक्त विपक्षी उम्मीदवारों के विचार को आगे बढ़ाया और उद्धव ठाकरे, शरद पवार, देवेगौड़ा, हेमंत सोरेन अखिलेश यादव समेत कुछ अन्य नेताओं के साथ बैठकें कीं थी। 

यहां पर बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया बुधवार से शुरू हो गई है। राज्यसभा सचिवालय ने इस चुनाव के लिए विशेष सेल का गठन किया है। चुनाव प्रक्रिया के तहत अगले महीने 18 जुलाई को होने वाले चुनाव के लिए राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी को निर्वाचन अधिकारी बनाया गया है। विशेष कार्य अधिकारी मुकुल पांडे और राज्यसभा सचिवालय में संयुक्त सचिव सुरेंद्र कुमार त्रिपाठी को सहायक निर्वाचन अधिकारी बनाया गया है।