ममता बनर्जी ने विपक्ष की बैठक में AIMIM को नहीं किया आमंत्रित, ओवैसी ने कहा- बुलाया जाता तो...

 

बैठक में 22 राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया गया, लेकिन AIMIM को नजरअंदाज कर दिया गया।

राष्ट्रपति चुनाव के लिए तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने दिल्ली में विपक्षी नेताओं की बैठक बुलाई। राष्ट्रपति चुनाव और 2024 के आम चुनाव सहित आगामी चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा का मुकाबला करने के लिए विपक्षी नेताओं की यह बैठक काफी अहम है।

हैदराबाद, आईएएनएस : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को दिल्ली में राष्ट्रपति चुनाव की रणनीति पर चर्चा के लिए विपक्षी दलों की बैठक में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) को आमंत्रित नहीं किया। दूसरी ओर एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अगर उनकी पार्टी को भी आमंत्रित किया जाता तो वह इसमें शामिल नहीं होगी, क्योंकि कांग्रेस पार्टी को आमंत्रित किया गया है।

22 पार्टियों को किया गया आमंत्रित

तृणमूल कांग्रेस नेता ने 22 राजनीतिक दलों को बैठक में आमंत्रित किया, लेकिन एआईएमआईएम को नजरअंदाज कर दिया। राष्ट्रपति चुनाव 18 जुलाई को होंगे और नतीजे 21 जुलाई को घोषित किए जाएंगे। तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) की तरह, (जो कांग्रेस पार्टी को दिए गए निमंत्रण के कारण बैठक से दूर रह रही है) एआईएमआईएम भी कांग्रेस के साथ किसी भी मंच को साझा करने का कड़ा विरोध कर रही है। हैदराबाद मुख्यालय वाली पार्टी एआईएमआईएम के दो लोकसभा सदस्य हैं, जिनमें तेलंगाना और महाराष्ट्र से एक-एक और 14 विधायक- तेलंगाना में सात, बिहार में पांच और महाराष्ट्र में दो हैं।

एआईएमआईएम से ममता की नाराजगी

एआईएमआईएम ने पिछले साल पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन खाता नहीं खोल पाई थी। हालांकि, चुनावी परिदृश्य में पार्टी ने एंट्री ने ममता बनर्जी को नाराज कर दिया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि बंगाल चुनाव में अल्पसंख्यक वोटों को बांटने के लिए एआईएमआईएम बीजेपी के साथ थी। इस बीच, एआईएमआईएम नेताओं ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव पर कोई फैसला नहीं किया है।

राज्‍यसभा चुनाव में AIMIM ने महाविकास अघाड़ी को दिया था वोट

विपक्षी दलों द्वारा एक आम उम्मीदवार पर निर्णय लेने के बाद पार्टी द्वारा निर्णय लेने की उम्मीद है। पिछले हफ्ते, एआईएमआईएम ने महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) को वोट दिया। पार्टी ने कहा कि उसने भाजपा को हराने का फैसला किया, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया कि शिवसेना के साथ उनके राजनीतिक और वैचारिक मतभेद जारी रहेंगे, जो एमवीए का नेतृत्व कर रही है और जिसमें कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सहयोगी हैं।