Babulal Marandi News झारखंड में सबकुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है। बालू के लिए जनता परेशान है। सरकारी और गैर सरकारी निर्माण कार्य बुरी तरह से प्रभावित है। भाजपा ने हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन को जिम्मेदार बताया है।
रांची, डिजिटल डेस्क। Hemant Soren Vs Babulal Marandi झारखंड में अब बालू को लेकर बवाल मच गया है। राज्य में बालू की किल्लत से पांच हजार करोड़ की सरकारी और गैर सरकारी विकास योजनाएं प्रभावित हैं। रांची में जहां स्मार्ट सिटी का काम रुक गया है, वहीं अन्य निर्माण कार्यों की रफ्तार भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। इस स्थिति के अगले कुछ महीने तक बने रहने की आशंका जताई जा रही है। बालू घाटों की नीलामी नहीं होने की वजह से यह स्थिति बनी है। भाजपा ने इस समस्या के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जिम्मेदार बताया है। मुख्यमंत्री को इसके लिए जमकर कोसा है। हेमंत सोरेन के खिलाफ मोर्चा संभालते हुए भाजपा विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने इंटरनेट मीडिया पर फिर टवीट किया है। बाबूलाल मरांडी ने लिखा है- झारखंड में बालू की किल्लत के कारण निर्माण उद्योग से जुड़े काम पूरी तरह से ठप पड़े हुए है। हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं। व्यवसायी बता रहे हैं कि 26 सालों में ये सबसे भयावह स्थिति है। आज ठोस नीति के अभाव और सरकार की अकर्मण्यता से व्यवसायी वर्ग से लेकर आम जनता त्राहिमाम कर रही है। पहले तो नियमानुसार चल रहे झारखंड के बालू घाटों को इसलिए बंद कराया गया ताकि अवैध बालू चोरी का धंधा बेरोकटोक चलता रहे। अब खनन घोटाले के पाप का घड़ा फूटने से चोरी का धंधा मंदा हुआ है तो बालू मिलना मुश्किल है। जिम्मेदार कौन? मुख्यमंत्री @HemantSorenJMM जी दिल पर हाथ रख कर सोचियेगा!
बरसात में नदियों से बालू निकालने ऐसे भी मनाही
मालूम हो कि तीन महीने पहले मार्च में बालू संकट का मामला झारखंड विधानसभा में भी उठा था। तब सरकार ने मार्च में ही बालू घाटों की नीलामी करने की घोषणा की थी, लेकिन तकनीकी कारणों से खान विभाग अबतक इसकी प्रक्रिया शुरू नहीं कर सका है। पंचायत चुनाव के कारण अप्रैल औऱ मई में लागू रही आचार संहिता इसकी बड़ी वजह बनी। हालांकि अब पंचायत चुनाव खत्म हो चुके हैं और आचार संहिता भी हट चुकी है, लेकिन अब भी अगले कुछ महीने तक शायद ही बालू घाटों की नीलामी हो सके, क्योंकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के अनुसार 10 जून से 15 अक्टूबर तक नदियों से बालू के उठाव की मनाही है।
सरकार की वैकल्पिक व्यवस्था भी पूरी तरह फेल
दूसरी ओर हर जगह बालू का स्टाक लगभग खत्म होने की कगार पर है। झारखंड राज्य खनिज विकास निगम ने वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर बालू के लिए आनलाइन परमिट की व्यवस्था शुरू की, लेकिन मांग के अनुरूप आपूर्ति में यह व्यवस्था कारगर साबित नहीं हो पा रही है। मानसून में हर साल जून से अक्टूबर तक बालू घाटों से बालू का उठाव बंद रहता है, लेकिन इस बार लापरवाही और सुस्ती की वजह से लोगों को बालू संकट का सामना करना पड़ रहा है।
झारखंड में 50 फीसद कम हो गया निर्माण कार्य
पूरे राज्य में निर्माण कार्य लगभग 50 प्रतिशत तक कम हो गया है। रांची में स्मार्ट सिटी के निर्माण कार्य में जुटी एजेंसी उपायुक्त को दो बार पत्र लिखकर बालू की कमी के कारण काम रोकने की बात कह चुका है। इसी तरह राजधानी रांची में कांटाटोली में बन रहे ओवरब्रिज का निर्माण कार्य रुक गया है। जाहिर है इस स्थिति का असर कार्यों के पूरा होने की निर्धारित समय सीमा पर भी पड़ेगा। केवल रांची में ही 200 से ज्यादा आवास निर्माण के काम रुक गए हैं। राज्य के अन्य हिस्सों में भी यही स्थिति है।
बाजार में अवैध बालू की कीमत चार गुना अधिक
उधर, अवैध बालू चार गुना कीमत पर बिक रहा है। इससे निर्माण की लागत बढ़ रही है। जानकारों का यह भी कहना है कि अवैध खनन से होने वाले भारी-भरकम आमदनी के कारण अफसर जान-बूझकर बालू घाटों की नीलामी में देर करते हैं। फिलहाल इस स्थिति को भी बदलने की जरूरत है।
पढ़िए, क्या लिखा है भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने
झारखंड में बालू की किल्लत के कारण निर्माण उद्योग से जुड़े काम पूरी तरह से ठप पड़े हुए है।
हज़ारों लोग बेरोजगार हो गए हैं। व्यवसायी बता रहे हैं कि 26 सालों में ये सबसे भयावह स्थिति है।
आज ठोस नीति के अभाव और सरकार की अकर्मण्यता से व्यवसायी वर्ग से लेकर आम जनता त्राहिमाम कर रही है।