ऊर्जा का संचार करेगा अग्निपथ, रक्षा निर्माण क्षेत्र में स्वदेशीकरण की तरफ बढ़ते कदम

 

भारत को विश्व की चौथी सबसे शक्तिशाली सेना माना जाता है।

भारत रक्षा निर्माण क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भता की तरफ बढ़ रहा है। केंद्र सरकार ने आयात कम करने के साथ ही निर्यात को भी बढ़ाने पर कार्य किया है। हमने ब्रह्मोस और आकाश जैसी मारक मिसाइलों का निर्माण और सफल टेस्टिंग कर ली है।

नई दिल्‍ली। केंद्र सरकार ने सेना में भर्ती के लिए नई व्यवस्था की घोषणा की है। इसके अंतर्गत अब चार वर्ष के लिए लोग सेना के तीनों अंगों में सेवा दे सकेंगे। इसका उद्देश्य सेना को युवा ऊर्जा से भरपूर रखना है। आइए जानें हमारी सेना को और कैसे देश की युवाशक्ति अग्निवीर बनकर इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ ले सकती है

ऐसी होगी सेवा निधि की संरचना

  • मासिक वेतन के लगभग 30 प्रतिशत हिस्से का योगदान
  • सरकार भी समान धनराशि का योगदान देगी
  • चार वर्ष बाद आयकर मुक्त धनराशि 10.04 लाख रुपये एकमुश्त मिलेंगे
  • इस पर ब्याज भी होगा जिसे मिलाकर कुल राशि 11.71 लाख रुपये हो जाएगी

सेवा में मृत्यु होने पर क्षतिपूर्ति

  • सेवाकाल में मृत्यु की स्थिति में मदद के लिए गैर अंशदायी जीवन बीमा कवर
  • सेवा के कारण मृत्यु होने पर 44 लाख रुपये की अतिरिक्त अनुग्रह राशि
  • इसके अतिरिक्त चार वर्ष तक सेवा नहीं किए गए हिस्से का भी भुगतान
  • इस क्षतिपूर्ति के अलावा सेवा निधि का भुगतान भी परिवार को किया जाएगा रक्षा क्षेत्र पर सरकार का विशेष ध्यान
  • भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.3 प्रतिशत रक्षा क्षेत्र पर खर्च करता है
  • वर्ष 2022-23 में रक्षा बजट में 9.8 प्रतिशत की वृद्धि सरकार ने की
  • विश्व में रक्षा खर्च के मामले में भारत का चौथा स्थान है। अमेरिका 750 अरब डालर के साथ पहले स्थान पर है जबकि 237 अरब डालर के साथ चीन का दूसरा स्थान है।
  • सऊदी अरब 67 अरब डालर के साथ तीसरे स्थान पर है।

यह होगी भर्ती के लिए योग्यता

  • आवेदकों की उम्र 17 वर्ष छह महीने से 21 वर्ष के बीच होनी चाहिए
  • शैक्षिक योग्यता 10वीं और 12वीं पास
  • सेना की तीनों अंगों में महिलाएं भी हो सकेंगी भर्ती चार वर्ष बाद होगा मूल्यांकन
  • सेना के तय नियमों के अंतर्गत चार वर्ष के लिए चयन होगा
  • इस सेवा काल में छह महीने की ट्रेनिंग भी शामिल
  • चार वर्ष बाद सेवाकाल में प्रदर्शन के आधार पर मूल्यांकन होगा और 25 प्रतिशत लोगों को नियमित किया जाएगा
  • नियमित होने वाले जवान अग्निवीर कहे जाएंगे
  • 100 प्रतिशत उम्मीदवार वालंटियर के रूप में नियमित काडर के लिए आवेदन कर सकते हैं

  • मासिक वेतन के साथ जोखिम, राशन, वर्दी भत्ते के साथ उपयुक्त यात्रा में छूट भी प्रदान की जाएगी भविष्य का भी ध्यान
  • चार वर्ष बाद अग्निवीर सेवा निधि के पात्र होंगे
  • इसके अलावा उन्हें कौशल पात्रता पत्र और क्रेडिट अंक दिए जाएंगे, जिससे उन्हें आगे नौकरी पाने में वरीयता मिल सके

शक्तिशाली सेनाओं में शामिल

  • भारत को विश्व की चौथी सबसे शक्तिशाली सेना माना जाता है। पहले स्थान पर अमेरिकी सेना है।
  • दूसरा स्थान रूस का है जो इस समय यूक्रेन के साथ युद्ध में उलझा है।
  • इस सूची में चीन का स्थान तीसरा है। जापान, दक्षिण कोरिया और फ्रांस भारत से पीछे हैं।

सात दशक में पूरी की चार लाख से 14.50 लाख सैनिकों तक की यात्रा

  • वर्ष 1950 में भारत के पास चार लाख सैनिक थे, लेकिन आज हमारे पास 14 लाख से ज्यादा सैनिक हैं।
  • हम 19 आर्डिनेंस फैक्ट्रियों से हथियार व गोला-बारूद बनाते थे, अब आर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड का आधुनिकीकरण कर छह कंपनियां बना दी गई हैं।
  • वर्ष 1958 में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ की स्थापना की गई। 1962 में रक्षा उत्पादन विभाग की स्थापना हुई।
  • हम न केवल रक्षा क्षेत्र में स्वावलंबन की ओर बढ़ रहे हैं बल्कि तेजी से रक्षा निर्यात की तरफ भी कदम बढ़ाए हैं।

तेजस से मिला तेज: भारत ने स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस का निर्माण किया है। इसमें नौ तरह के हथियार लगाए जा सकते हैं। यह जैमर प्रोटेक्शन तकनीक से भी सुसज्जित है। यह भारतीय वायुसेना को तो मजबूती देगा ही, इसे खरीदने के लिए भी दुनिया के कई देश भारत की ओर देख रहे हैं।

रक्षा निर्माण क्षेत्र में स्वदेशीकरण की तरफ बढ़ते कदम: भारत रक्षा निर्माण क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भता की तरफ बढ़ रहा है। केंद्र सरकार ने आयात कम करने के साथ ही निर्यात को भी बढ़ाने पर कार्य किया है। हमने ब्रह्मोस और आकाश जैसी मारक मिसाइलों का निर्माण और सफल टेस्टिंग कर ली है। अब वह इनका निर्यात करने जा रहा है। चीन की हेकड़ी से परेशान कई देशों ने भारतीय मिसाइलों में काफी रुचि दिखाई है। पृथ्वी, आकाश, नाग, अस्त्र, निर्भय, शौर्य जैसी मिसाइलों के नए संस्करण पर कार्य हो रहा है।