संगरूर लोकसभा उपचुनाव में मुद्दों का अभाव, भावनात्मक कार्ड खेल रही पार्टियां

 

पंजाब के राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह। सांकेतिक फोटो

Sangrur Lok Sabha By-Election संगरूर लोकसभा उपचुनाव के लिए मतदान 23 जून को होना है। पार्टियां प्रचार में जुटी हैं लेकिन पार्टियों को पास कोई ठोस मुद्दे नहीं हैं। कांग्रेस व अकाली दल भावनात्मक मुद्दों पर खेल रहे हैं।

चंडीगढ़। संगरूर लोकसभा उपचुनाव को लेकर अब दस दिन से कम का समय बचा है लेकिन राजनीतिक पार्टियों को समझ नहीं आ रहा है कि आम आदमी पार्टी की सरकार के खिलाफ राजनीतिक मुद्दा क्या बनाया जाए। मुद्दे के अभाव के कारण राजनीतिक पार्टियां भावनात्मक मुद्दों को आगे कर रही हैं और वह भी परिवार की सहमति के बिना।

मसलन, प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने रैप स्टार सिद्धू मूसेवाला की हत्या को लेकर आम आदमी पार्टी को घेरा हुआ है। इस हत्याकांड के बहाने कांग्रेस ने संगरूर लोकसभा सीट पर उपचुनाव के लिए एक गीत लांच किया था, जिसमें मूसेवाला के शव और समाधि की तस्वीर दिखाई थी। मूसेवाला के परिवार ने इस पर आपत्ति जताई है। परिवार ने मूसेवाला के आधिकारिक फेसबुक अकाउंट से अपील जारी की है कि कोई भी राजनीतिक पार्टी या व्यक्ति अपने राजनीतिक फायदे के लिए उनके बेटे शुभदीप सिंह सिद्धू मूसेवाला का नाम उपयोग न करें।

दरअसल, सिद्धू मूसेवाला की हत्या को लेकर लोगों के मौजूदा सरकार के प्रति नाराजगी है। उनका कहना है कि सरकार ने सिद्धू मूसेवाला की सुरक्षा वापस ले ली थी, इसीलिए उनकी हत्या हुई है। युवाओं की इस नाराजगी का लाभ कांग्रेस उठाना चाहती है।

शिरोमणि अकाली दल भी पीछे नहीं है। उनके बंदी सिंह की रिहाई वाले पोस्टर पर चुनाव अधिकारी ने रोक लगा दी है। पार्टी पिछले कई दिनों से जेलों में बंद सिख युवाओं को छुड़वाने के लिए मुहिम छेड़े हुए है। यही नहीं, पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या में शामिल बलवंत सिंह राजोआणा की बहन कमलदीप कौर को अपना उम्मीदवार बनाया है। राजोआणा पटियाला जेल में बंद हैं। पार्टी प्रधान सुखबीर बादल लगातार कमलदीप के लिए प्रचार कर रहे हैं और हर सभा में वह जेलों में बंद युवाओं को छुड़वाने की अपील कर रहे हैं। साथ ही ऐसे परिवारों का साथ देने के लिए लोगों से आगे आने को कह रहे हैं।

भारतीय जनता पार्टी पहली बार इस सीट पर अपने दम पर उतरी है। उन्होंने कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए केवल ढिल्लों को टिकट दिया है और जिस तरह से पार्टी इस चुनाव को पूरा जोर लगाकर लड़ रही है उससे साफ जाहिर है कि उसका निशाना संगरूर को जीतना न भी हो, लेकिन विरोधियों पार्टियों से ज्यादा वोट लेकर 2024 में अकेले दम पर पूरे प्रदेश में लड़ेगी।

आम आदमी पार्टी के लिए भी यह चुनौती की घड़ी है। हालांकि पार्टी इस सीट को बड़े मार्जिन से जीतने का दावा कर रही है। विपक्ष तीन महीने पहले बनी सरकार को कानून व्यवस्था के मुद्दे पर घेर रहा है। हालांकि इसी बीच सरकार ने कई महत्वपूर्ण फैसले भी किए हैं जिनमें किसानों के लिए पहली बार मूंग पर एमएसपी देना, एक विधायक एक पेंशन का आने वाले बजट सेशन में बिल लाना, एक जुलाई से तीन सौ यूनिट बिजली देने का ऐलान करना आदि।