इंटरनेट मीडिया बच्‍चों को बना रहा जिद्दी और हिंसात्‍मक, केजीएमयू के विशेषज्ञ ने बताया लत छुड़ाने का तरीका

 


आनलाइन गेम बच्‍चों को बना रहा हिंसात्‍मक।

किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के मानसिक चिकित्सा विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डा. सुजीत कुमार कहते हैं कि बच्चों के लिए इंटरनेट मीडिया पर पाबंदी और अभिवावकों में इसके प्रति जागरूकता बेहद जरूरी है। बच्‍चों काे पार्क में खेलने व प्‍लांटिंग के लिए प्रेरित करें।

लखनऊ । आनलाइन गेम और इंटरनेट मीडिया का बढ़ता क्रेज किशोर-किशोरियों को मानसिक रूप से प्रभावित कर रहा है। आनलाइन गेम खेलने से मना करने पर पीजीआइ क्षेत्र में शनिवार को 16 वर्षीय किशोर द्वारा अपनी मां की हत्या करना उसकी मानसिक स्थिति पर पड़े प्रभाव को दर्शाता है। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के मानसिक चिकित्सा विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डा. सुजीत कुमार कहते हैं कि बच्चों के लिए इंटरनेट मीडिया पर पाबंदी और अभिवावकों में इसके प्रति जागरूकता बेहद जरूरी है।

डा. सुजीत के अनुसार, आनलाइन गेम खेलने के दौरान इस तरह की घटनाएं उसके जीवन से जुड़ी कई बातों को दर्शाती हैं। बच्चा जब बड़ा हो रहा होता है तो उसके व्यक्तित्व में भी बदलाव आ रहे होते हैं। इससे व्यक्तित्व में कभी-कभी हिंसक भाव अधिक होते हैं और भावनात्मक रूप से वह कमजोर होता है। इस तरह के व्यक्तित्व के बच्चे अति संवेदनशील हो जाते हैं। किसी भी बात को सहन कर पाना उनके लिए थोड़ा मुश्किल होता है। ऐसे में उनके मुताबिक कार्य न होने पर वह हिंसक कदम आसानी से उठाने लगते हैं।

क्या करें अभिवावक

  • अभिभावक अपने बच्चे के व्यक्तित्व को जरूर पहचानें। यदि बच्चा हर बात पर चिड़चिड़ा, जिद्दी होता जा रहा है तो उसकी आदतों का पता लगाकर मनोविज्ञानी से मिलना जरूरी है। समय से पता चलने पर बच्चे की काउंसिलिंग की जा सकती है और ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।
  • अपने बच्चे की कमजोरी या उसकी आदतों को पहचानने की कोशिश करें और बच्चे की मदद करें।
  • कोरोना काल के दौरान आनलाइन गतिविधियां काफी बढ़ गईं। इस दौरान आनलाइन क्लासेज के साथ आनलाइन गेमिंग का भी चलन तेजी से बढ़ा है। ऐसे में आनलाइन गतिविधियों पर पैरेंटल कंट्रोल जरूरी है। बच्चे मोबाइल या लैपटाप पर क्या कर रहे हैं, इस पर नजर जरूर रखें।
  • बच्चे को शारीरिक क्रियाकलापों के लिए बढ़ावा दें। जैसे, वह बगीचे को सुंदर बनाएं। बाहर के खेलों पर ध्यान दें। जीव-जंतुओं, पक्षियों के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश करे।
  • बच्चों के लिए मोबाइल और गैजेट का एक समय निश्चित करें और यह उन्हें उपहार स्वरूप दें। जैसे, यदि बच्चा दो घंटे पढ़ाई कर रहा है तो उसे उपहार में आधे घंटे के लिए फोन चलाने की अनुमति मिले। इससे उनमें प्रोत्साहन की आदत दृढ़ होगी।
  • अक्सर अभिभावकों के पास समय नहीं होता है तो वह बच्चों को फोन और अन्य गैजेट देकर उसमें व्यस्त रखने की कोशिश करते हैं। धीरे-धीरे यह बच्चों की आदत बन जाती है। बच्चों के लिए समय जरूर निकालें।