सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को जल्द ही एक नया प्लेटफार्म मुहैया कराया जाएगा जो तकनीकी रूप से उन्नत सुरक्षित और नए जमाने के अपराधियों और असामाजिक तत्वों से निपटने में मददगार होगा। नए प्लेटफॉर्म में अपराधों और अपराधियों के बारे में जानकारी होगी!
नयी दिल्ली, प्रेट्र। सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को जल्द ही एक नया प्लेटफार्म मुहैया कराया जाएगा, जो तकनीकी रूप से उन्नत, सुरक्षित और नए जमाने के अपराधियों और असामाजिक तत्वों से निपटने में मददगार होगा। नए प्लेटफॉर्म में अपराधों और अपराधियों के बारे में जानकारी होगी और इसे देश भर के पुलिस स्टेशनों और विभिन्न जांच एजेंसियों द्वारा वास्तविक समय के आधार पर एक्सेस किया जा सकता है, जिसमें इंटेलिजेंस ब्यूरो नोडल एजेंसी की भूमिका निभा रहा है।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को पुलिस प्रौद्योगिकी के अधिकार प्राप्त संचालन समूह की एक उच्च स्तरीय बैठक में परियोजना पर काम की प्रगति का जायजा लिया। बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, खुफिया ब्यूरो के निदेशक अरविंद कुमार और सुरक्षा एजेंसियों के अन्य शीर्ष अधिकारी शामिल हुए।
पिछले नवंबर में लखनऊ में आयोजित डीजीपी सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुलिसिंग में भविष्य की तकनीकों को अपनाने के लिए रखा था। उस बैठक में गृह मंत्री की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त पुलिस प्रौद्योगिकी मिशन का गठन किया गया था। प्रधानमंत्री ने पुलिस से संबंधित घटनाओं के विश्लेषण और एक संस्थागत शिक्षण तंत्र बनाने के लिए केस स्टडी विकसित करने का समर्थन किया था। इसके लिए भारत में पुलिस बलों को लाभ पहुंचाने वाली कंप्यूटर पर आधारित सिस्टम से जुड़ी तकनीकों का प्रयोग करने का सुझाव दिया था।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि मंगलवार की बैठक में डीआरडीओ (DRDO) के अध्यक्ष जी सतीश रेड्डी, एनटीआरओ के अध्यक्ष अनिल धस्माना, सीबीआई निदेशक सुबोध कुमार जायसवाल, बीएसएफ के महानिदेशक पंकज सिंह, सीआरपीएफ के महानिदेशक कुलदीप सिंह और दिल्ली पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना समेत अन्य लोग शामिल थे।
99 फीसदी पुलिस थानों में 100 फीसदी FIR
केंद्र सरकार के पास पहले से ही सभी प्राथमिकी दर्ज करने के लिए एक समर्पित प्लेटफार्म है। क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम्स (CCTNS)को देश के सभी 16,347 पुलिस थानों में लागू किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि इन दिनों देश के 99 फीसदी पुलिस थानों में 100 फीसदी प्राथमिकी (FIR) दर्ज की जा रही है। इसके अलावा गृह मंत्रालय के पास यौन अपराधियों पर एक राष्ट्रीय डेटाबेस (NDSO) है, जहां देश में 10.69 लाख से अधिक यौन अपराधियों का विवरण और उनके प्रोफाइल नए अपराधों की जांच के लिए वास्तविक समय पर कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए उपलब्ध हैं।
नैटग्रिड से जुड़ी हैं देश की 10 एजेंसियां
इन पर नजर सरकार ने पहले ही नैटग्रिड (NATGRID) तैयार कर लिया है, जिसमें सभी आव्रजन प्रवेश और निकास, बैंकिंग और वित्तीय लेनदेन, क्रेडिट कार्ड खरीद, दूरसंचार, व्यक्तिगत कर दाताओं, हवाई यात्रियों, ट्रेन यात्रियों के अलावा अन्य से संबंधित डेटा है, ताकि खुफिया जानकारी हासिल की जा सके। पहले चरण में 10 यूजर एजेंसियों और 21 सेवा प्रदाताओं को नेटग्रिड से जोड़ा जा रहा है।
देश में 10 एजेंसियां जो वास्तविक समय के आधार पर नैटग्रिड (NATGRID) डेटा तक पहुंच सकेंगी। इन 10 एजेंसियों में शामिल हैं: इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB), रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW), केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), प्रवर्तन निदेशालय (ED), राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI), वित्तीय खुफिया इकाई (FIU), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT), केंद्रीय उत्पाद और सीमा शुल्क बोर्ड (CBEC), केंद्रीय उत्पाद शुल्क और खुफिया महानिदेशालय (DGCEC) और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB)। शुरू में किसी भी राज्य की एजेंसियों को नैटग्रिड (NATGRID) डेटा तक सीधी पहुंच नहीं दी जाएगी।