जिला परिषद चुनाव में पार्षदों की खरीद-बिक्री शुरू... जानिए, हजारीबाग और रामगढ़ में क्या चल रहा खेल

 

Jharkhand News: हजारीबाग और रामगढ़ जिले में जिला परिषद चुनाव को लेकर पार्षदों की खरीद-बिक्री।

Jharkhand Panchayat Election हजारीबाग और रामगढ़ जिले में जिला परिषद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव जैसे जैसे नजदीक आ रहा है पार्षदाें की अंदरखाने साैदेबाजी तेज होती जा रही है। धन-बल से मजबूत प्रत्याशी पार्षदों को खरीदकर किसी तरह से पद पर कब्जा जमाना चाह रहे हैं।

हजारीबाग,संवाददाता। हजारीबाग जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न होने के बाद अब जिला परिषद अध्यक्ष और उपाध्य्क्ष का चुनाव होना है। 30 सदस्यीय हजारीबाग जिला परिषद के लिए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव 18 जून 2022 को प्रस्तावित है। इस चुनाव में दोनों पदों के लिए कई दावेदार सामने आने लगे हैं। इसको लेकर अंदरखाने पार्षदों की खरीद-बिक्री का खेल भी शुरू हो गया है। इन्हें अपने पक्ष में करने के लिए हर दल इनकी बोली लगाते नजर आ रहे हैं। खेल इस अंदाज में चल रहा कि चुनाव आयोग और अन्य एजेंसियों को भनक तक नहीं लगे। कहा जा रहा कि जो जितनी बोली लगाएगा पार्षद उन्हीं के पक्ष में मतदान करेंगे। यह खेल कोई नया नहीं है। जिला परिषद चुनावों में पहले भी इस तरह का खेल होता रहा है। वैसे भी झारखंड राज्यसभा चुनावों में हार्स ट्रेडिंग के लिए बदनाम रहा है। ऐसे में जिला परिषद चुनाव तक इस संस्कृति का पहुंचना, नई बात नहीं है।

इनका नाम चल रहा सबसे आगे

बहरहाल, हजारीबाग जिला परिषद चुनाव में ताजा सीन यह है कि बरकटठा से जिला परिषद सदस्य का चुनाव जीतने वाली कुमकुम देवी का नाम सबसे आगे चल रहा है। वह सर्वाधिक 10 हजार वोटों के अंतर से चुनाव जीत कर जिला परिषद पहुंची हैं। वहीं, इचाक से नौ हजार वोटों से जीत कर आई रेणू देवी (पति अशोक मेहता) भी प्रमुख दावेदार मानी जा रही हैं। इन्हें भाजपा का दलीय समर्थन भी हासिल है। इधर, चौपारण से चुनाव जीत कर आए रविशंकर अकेला जो बरही विधायक उमा शंकर अकेला के पुत्र हैं, भी प्रमुख दावेदार हैं। इन्हे कांग्रेस एवं उसके सहयोगी दलों का समर्थन भी हासिल है।

जीतकर आए प्रत्याशी ज्यादातर भाजपा समर्थक

वर्तमान में जितने भी सदस्य चुने गए हैं, उनमें देखा जा रहा है कि अधिकतर भाजपा समर्थित उम्मीदवार हैं। ऐसे में अंदर खाने भाजपा द्वारा अपने समर्थित उम्मीदवार को ही जिला परिषद अध्यक्ष के लिए चुने जाने को लेकर कोशिशें तेज कर दी गई हैं। अन्य दल भी पीछे नहीं हैं। अपने उम्मीदवार को जीत दिलाने के लिए भी जोड़तोड़ करने में जुटे हैं। अंदरखाने अध्यक्ष के चुनाव को लेकर धनबल का खेल शुरू हो चुका है। उम्मीदवारों द्वारा बोली लगाई जा रही है। दोनों तरफ से मोल भाव किए जा रहे हैं। ऐसे में जिला परिषद सदस्यों द्वारा भी अधिक से अधिक लाभ लेने की जुगत भिड़ाई जा रही है।

रामगढ़ जिले में जानिए क्या है हाल

उधर, रामगढ़ जिले में भी जिला परिषद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर चुनाव को लेकर सियायी घमासान तेज है। यहां इस बार आजसू समर्थित उम्मीदवार के पक्ष में पलड़ा भारी दिख रहा है। इस बार 14 जिला परिषद सदस्यों के लिए हुए चुनाव में कुल नौ सीटों पर आजसू समर्थित उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है। इसके अलावा भाजपा के एक, झामुमो से दो और निर्दलीय दो उम्मीदवार चुनाव जीते हैं। जिले में इस बार महिला उम्मीदवार ही जिला परिषद अध्यक्ष बनेंगी, इसलिए यहां तस्वीर भी लगभग स्पष्ट है। माना जा रहा है या तो अध्यक्ष चितरपुर प्रखंड से होगा या फिर मांडू प्रखंड से। बस सब कुछ आगामी दो-तीन दिनों में तय कर लिया जाएगा। चूंकि पूर्व मंत्री सह वर्तमान गिरिडीह सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी विदेश दौरे पर थे, वे बुधवार रात ही रांची लौटे हैं। इस विषय में सर्वसम्मति के बाद उनकी ओर से अंतिम निर्णय लिया जाएगा। पिछली बार भी जिला परिषद अध्यक्ष पद पर आजसू समर्थित ब्रह्मदेव महतो जिला परिषद अध्यक्ष थे। इसके अलावा उपाध्यक्ष पद पर भी आजसू समर्थित उम्मीदवार ही काबिज थे। चूंकि पिछली बार से बेहतर परिणाम आजसू पार्टी के पक्ष में आया है, इसलिए सारा समीकरण इन्हीं के पक्ष में दिख रहा है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि झारखंड में चुनाव दलीय आधार पर नहीं हुआ है, लेकिन जो प्रत्याशी चुनाव जीतकर आए हैं, वह किसी न किसी दल के समर्थक जरूर हैं। इसी आधार पर यह आकलन किया जा रहा कि किस दल का जिला परिषद में कब्जा हो सकता है।

रामगढ़ में किस क्षेत्र से कौना जीता है

आजसू समर्थित उम्मीदवारों में भाग एक से भोला तूरी, भाग दो सुनीता देवी, भाग तीन दमयंती देवी, भाग चार से तपेश्वर महतो, भाग पांच सरिता देवी, भाग नौ धनेश्वर महतो, भाग 12 से सुधा देवी, भाग 13 सरस्वती देवी, भाग 14 जलेश्वर महतो ने चुनाव जीता है। इसी तरह भाग छह से भाजपा समर्थित उम्मीदवार चुनाव जीते हैं। इनके अलावा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की चचेरी बहन सहित दो झामुमो समर्थित तथा दो निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते हैं। कहा जा रहा है कि जिले में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए पार्षदों की सौदेबाजी चरम पर है। जो प्रत्याशी जितनी रकम खर्च करेगा वह ऊंचे ओहदे पर विरजमान होगा। मालूम हो कि यहां पिछले चुनावों में भी पार्षदों की खूब खरीद बिक्री हुई थी। हालांकि यह इतने गुपचुप तरीके से होता है कि अभी तक कोई हत्थे नहीं चढ़ा है। खुद राजनीतिक पार्टियां समय समय पर इसका आरोप लगाती रही ह

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