मजबूती की ओर समुद्री सुरक्षा, युद्धपोतों और पनडुब्बियों का निर्माण और उनका सफलतापूर्वक परीक्षण एक बड़ी उपलब्धि

 

भारतीय नौसेना स्वदेशी हथियारों से लैस हो रही है।

भारतीय नौसेना स्वदेशी हथियारों से लैस हो रही है। अपने देश में युद्धपोतों और पनडुब्बियों का निर्माण और उनका सफलतापूर्वक परीक्षण इस दिशा में एक बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी। स्वदेशी हथियारों से लैस होने के बाद हमारी नौसेना काफी ताकतवर हो जाएगी।

भारत समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में नौसेना की तैयारियों के तहत उसकी लड़ाकू क्षमताओं का अवलोकन किया। इस क्रम में प्रमुखता से यह बात सामने आई कि भारतीय नौसेना की ताकत में निरंतर बढ़ोतरी हुई है। बीते दिनों रक्षा मंत्री ने मझगांव डाक में दो स्वदेशी युद्धपोतों- सूरत और उदयगिरी का जलावतरण किया। इस सफलता से भारतीय नौसेना के आयुध भंडार की ताकत बढ़ेगी और भारत की रणनीतिक क्षमता प्रदर्शित होगी। ये युद्धपोत दुनिया के तकनीकी रूप से सबसे उन्नत मिसाइल वाहक साबित होंगे तथा वर्तमान के साथ साथ भविष्य की जरूरतों को भी पूरा करेंगे।

इस उपलब्धि से आने वाले समय में भारत न केवल अपनी जरूरतें पूरी करने में सक्षम होगा, बल्कि दुनिया के कई अन्य देशों की युद्धपोत निर्माण की आवश्यकताओं को भी पूरा करने में सक्षम हो सकता है। इससे ‘मेक इन इंडिया’ तथा ‘मेक फार द वर्ल्ड’ की परिकल्पना भी साकार होगी। इस सफलता से यह भी सुनिश्चित हो गया है कि अब भारत की पहुंच हंिदू महासागर से प्रशांत महासागर और अटलांटिक महासागर तक हो जाएगी।

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में नौसेना के युद्धपोत उदयगिरी का जलावतरण किया। फाइल

युद्धपोतों के निर्माण की प्रक्रिया अत्यंत कठिन होती है तथा इसमें बड़े पैमाने पर तकनीक व कौशल का समावेश होता है। इस जटिलता के बावजूद भारत इसमें सफल हुआ। अब जिस गति से युद्धपोत बनाए जा रहे हैं, उससे यह स्पष्ट है कि भारत का युद्धपोत निर्माण कार्यक्रम अपनी सक्षमता को प्राप्त कर चुका है। इस क्षमता के कारण ही विगत तीन वर्षो में देश में बने तीन युद्धपोतों को नौसेना के बेड़े में शामिल किया जा चुका है। पिछले पांच वर्षो में नौसेना के आधुनिकीकरण के बजट का दो-तिहाई से अधिक का हिस्सा स्थानीय आपूर्ति पर खर्च हुआ है। वर्ष 2014 में ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत नौसेना ने ज्यादातर ठेके भारतीयों को ही दिए थे। तब से नौसेना का 90 प्रतिशत साजो-सामान स्वदेशी निर्माता ही उपलब्ध करवा रहे हैं। नौसेना ने अपनी जरूरत के लिए जिन 41 युद्धपोतों व पनडुब्बियों का आर्डर दिया है, उनमें से 39 का निर्माण भारत में हो रहा है।

ये दोनों युद्धपोत ‘मेक इन इंडिया’ के तहत भारत में निर्मित किए गए हैं। एमडीएल यानी मझगांव डाक शिप बिल्डर्स लिमिटेड का कहना है कि इतिहास में पहली बार स्वदेश निर्मित दो युद्धपोतों को एक साथ लांच किया गया है। इन दोनों युद्धपोतों को नौसेना डिजाइन निदेशालय द्वारा ही डिजाइन किया गया है और एमडीएल मुंबई द्वारा बनाया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा लांच किए गए इन युद्धपोतों के नाम शहर और पर्वत के नाम पर रखे गए हैं। गुजरात की वाणिज्यिक राजधानी सूरत के नाम पर इसका नाम रखा गया है। जबकि दूसरे पोत उदयगिरी का नाम आंध्र प्रदेश की पर्वत श्रृंखला के नाम पर है।

स्वदेशी युद्धपोत सूरत का वजन 7400 टन है। इसकी लंबाई 163 मीटर है। यह 45 दिनों तक समुद्र के भीतर रह सकता है। इस पोत पर चार इंटरसेप्टर बोट, 250 जवान एवं 50 नौ सैनिक अधिकारी एक साथ रह सकते हैं। सूरत युद्धपोत 56 किमी प्रति घंटे की गति से समुद्री दूरी तय कर सकता है। एक बार ईंधन लेने के बाद यह समुद्र में 7400 किमी की दूरी तय कर सकता है। यह राडार को चकमा देने में माहिर है। इस युद्धपोत पर ब्रह्मोस जैसी आधुनिक मिसाइलें, एंटी सब मरीन लांचर जैसे हथियार तैनात किए जा सकते हंै। इसी तरह उदयगिरि भी कुछ कम नहीं है। यह आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित एवं उन्नत हथियारों से लैस युद्धपोत है।

सैन्य वाहक पोत : भारतीय नौसेना के सबसे बड़े सैन्य वाहक पोत आइएनएस जलाश्व को तैनात करने की तैयारी कर ली गई है। कच्छ की खाड़ी में इसका अभ्यास किया गया है। इस अभ्यास में वायु सेना और थल सेना को भी शामिल किया गया था, जो सफल रहा। आइएनएस जलाश्व की तैनाती भारत के समुद्री हितों की रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ाने के लिए समुद्र तट और हंिदू महासागर में युद्धपोतों के संचालन के नजरिये से महत्वपूर्ण है।

ड्रोन : भारतीय नौसेना के लिए एक नए संहारक हथियार के निर्माण की योजना बन चुकी है। रक्षा क्षेत्र के लिए उपकरण बनाने वाली कंपनी लार्सन एंड टुब्रो ने बेंगलुरु की एक नई कंपनी न्यूस्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलाजी से ड्रोन बनाने का समझौता किया है। दोनों कंपनियां मिलकर पनडुब्बी से लांच होने वाले मानव रहित एरियल वेहिकल्स यानी ड्रोन्स बनाएंगी। स्वदेश में विकसित ये ड्रोन्स बेहद आत्मघाती होंगे। यह नौसेना का अत्याधुनिक किस्म का हथियार होगा। जब ये समुद्र में तैनात पनडुब्बी से बाहर निकलेंगे तो शत्रु के पानी में चलने वाले जहाज, विमान एवं जमीनी चौकियों को बर्बाद कर देंगे। इन हथियारों के दो हिस्से होते हैं। इसका एक हिस्सा पानी के अंदर और दूसरा हिस्सा हवा में उड़ने वाला होता है। इन ड्रोन्स के निर्माण का मुख्य उद्देश्य केवल आक्रामक गतिविधियों के लिए नहीं, बल्कि सामुद्रिक क्षेत्र की निगरानी, जासूसी एवं सर्विलांस जैसे कार्यो के लिए भी उपयोग में लाना है।