आखिर कैसे बचेगी ये अनमोल धरती? फ‍िनलैंड ने दिखाई दुनिया को नई राह

 

आखिर कैसे बचेगी ये अनमोल धरती? फ‍िनलैंड ने दिखाई दुनिया को नई राह। फाइल फोटो।

World Environment Day 2022 धरती के वजूद को बचाने के लिए दुनिया भर में क्‍या प्रयास चल रहे हैं? इसके लिए किए जा रहे प्रयास क्‍या काफी है? इसके लिए और क्‍या किए जाने की जरूरत है? फ‍िनलैंड आखिर दुनिया को कैसे सबक सिखा रहा है।

नई दिल्‍ली, World Environment Day 2022: मौजूदा समय में हमारी धरती जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता के क्षरण तथा प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन जैसी प्रमुख समस्याओं से जूझ रही है। पिछले कुछ वर्षों में यूरोप, अमेरिका तथा जापान ने तीव्र हीटवेव का सामना किया है। इसके चलते वहां के मुल्‍कों को बड़ी मात्रा में आर्थिक हानि झेलनी पड़ी है। उधर, अफ्रीका तथा एशिया में उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों से बड़ी संख्या में जन-धन की हानि हुई है। पूर्वी अफ्रीका में सूखे की बारंबारता बढ़ती जा रही है। कुछ इलाकों में अस्वाभाविक रूप से वर्षा में भी वृद्धि हुई है। जैव विविधता के क्षरण के कारण वर्ष 2019 में 27,000 से भी अधिक प्रजातियां विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रहीं हैं। वर्तमान में सभी बड़े देशों का आर्थिक माडल प्राकृतिक संसाधनों के अति दोहन पर आधारित है। ऐसे में सवाल उठता है कि धरती के वजूद को बचाने के लिए दुनिया भर में क्‍या प्रयास चल रहे हैं? इसके लिए किए जा रहे प्रयास क्‍या काफी है? इसके लिए और क्‍या किए जाने की जरूरत है? फ‍िनलैंड आखिर दुनिया को कैसे सबक सिखा रहा है। इन तमाम मसलों पर पर्यावरणविदों की क्‍या राय है।

1- पर्यावरणविद विजयपाल बघेल का कहना है कि मौजूदा प्रयास और उसका माडल पर्यावरण की चुनौतियों को दूर करने में कारगर और उपयोगी साबित नहीं हो रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि फ‍िनलैंड ने वर्ष 2035 तक स्वयं को कार्बन न्यूट्रल करने का निर्णय लिया है। अन्य देशों को भी फ‍िनलैंड से प्रेरणा लेने की जरूरत है। देशों को आर्थिक विकास को ही एक मात्र उद्देश्य बनाने के स्थान पर विकास की धारणीयता पर भी विचार करना जरूरी है। इसमें सभी देशों को मिलकर प्रयास करने होंगे। इन देशों के मध्य बेहतर तालमेल तथा समन्वय को बनाने के लिए पर्यावरण से संबंधित निकायों को एक मंच पर लाना होगा, साथ ही संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था को भी पर्यावरण उन्मुख बनाना होगा। उन्‍होंने जोर देकर कहा कि हमें यह समझना होगा कि हमारे पास रहने लायक सिर्फ एक ही ग्रह है, यहां कोई प्लेनेट बी उपलब्ध नहीं है।

2- उन्‍होंने कहा कि मौजूदा वक्त में हमारा यह ग्रह विभिन्न पर्यावरणीय चुनौतियों से जूझ रहा है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की संस्था UNEA अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न समझौतों पर चर्चा के लिए तथा जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिये एक प्रभावी मंच प्रदान कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के मंच पर भी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण की भूमिका में वृद्धि करने की जरूरत है ताकि पर्यावरण के मुद्दों को अधिक महत्‍व दिया जा सके। संयुक्त राष्ट्र में पर्यावरण के मामलों के लिये UN पर्यावरण की भूमिका अहम है। संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियों के साथ समन्वय स्थापित करने तथा अन्य बहुपक्षीय निकायों को साथ लाने में इस संगठन की भूमिका बेहद उपयोगी है।

आखिर क्‍या है संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा

1- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) का प्रशासनिक निकाय है। पर्यावरण के संदर्भ में फैसले लेने वाली विश्व की सर्वोच्च संस्था संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा है। पर्यावरणविद बघेल का कहना है कि UNEA की मौजूदा भूमिका में बदलाव की जरूरत है। पर्यावरण सभा को सदस्य राष्ट्रों तथा पर्यावरण व्यवस्था को रणनीतिक निर्देश देना चाहिए। यह दुनिया के सामने आने वाली महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौतियों को संबोधित करती है। यह पर्यावरणीय सभा वैश्विक पर्यावरण नीतियों हेतु प्राथमिकताएं निर्धारित करने और अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण कानून विकसित करने के लिये हर दो वर्ष में एक बार आयोजित की जाती है। सतत् विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा का गठन जून 2012 में किया गया।

2- संयुक्त राष्ट्र में पर्यावरण से संबंधित विभिन्न सुधारों में सबसे अहम संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा जो पहले 58 सदस्यों तक सीमित थी, जिसको परिवर्तित करके इसे सार्वभौमिक बना दिया गया है। इस परिषद के सार्वभौमिकरण से सभी देशों को अपनी समस्याओं को एक मंच पर साझा करने का अवसर हासिल हुआ है। इसके साथ ही ये देश अपने संयुक्त पर्यावरण एजेंडे पर भी चर्चा और विचार कर सकेंगे। इस सफलता के बावजूद अभी भी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा एक नवीन इकाई है तथा इसको संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था में एक प्रमुख भूमिका निभाने में और अधिक प्रयास करने होंगे।

छोटे से फ‍िनलैंड ने दिखाई दुनिया को राह

फ‍िनलैंड ने जलवायु परिवर्तन से निटपने के लिए एक महत्त्वपूर्ण एजेंडा तैयार किया है। इसके तहत वर्ष 2035 तक फ‍िनलैंड ने स्वयं को कार्बन न्यूट्रल करने का लक्ष्य तय किया है। ऐसा करने वाला फ‍िनलैंड दुनिया का प्रथम देश होगा। इसके अलावा फिनलैंड ने जैव विविधता की हानि को रोकने तथा स्वयं को चक्रीय अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करने का लक्ष्य भी निर्धारित किया है। चक्रीय अर्थव्यवस्था में प्रमुख रूप से अपशिष्ट को कम करने एवं अपशिष्ट से संसाधन निर्माण पर बल दिया जाता है। इसके अतिरिक्त फिनलैंड सरकार के विभिन्न मंत्रालयों एवं पर्यावरण से संबंधित विभिन्न हित समूहों के मध्य बेहतर तालमेल है। इससे विभिन्न योजनाओं को लागू करने तथा उनका सफल क्रियान्वयन करने में उनको मदद मिलती है।