बाल श्रम के खिलाफ काम कर रहे होनहारों को केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने किया सम्मानित, बोले- केंद्र देगा हरसंभव मदद

 

बाल श्रम के खिलाफ काम कर रहे होनहारों को केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने किया सम्मानित,बोले- केंद्र देगा हरसंभव मदद

Child Labour in India विश्व बाल श्रम निषेध दिवस 2022 की पूर्व संध्या पर शनिवार को केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव (Union Minister Bhupendra Yadav) ने बाल श्रम रोकने की दिशा में कार्य कर रहे होनहारों को सम्मानित किया।

नई दिल्ली,  डिजिटल डेस्क। देश-दुनिया में बाल श्रम को रोकने के लिए जंग जारी है, इसलिए प्रत्येक वर्ष 12 जून को भारत समेत दुनिया भर के लगभग 100 देशों में विश्व बालश्रम निषेध दिवस (World Day Against Child Labour) मनाया जाता है। देशभर में बाल श्रम को रोकने के लिए सरकारी के साथ सामाजिक संगठन भी कार्य कर रहे हैं। 

सामाजिक संगठनों से जुड़े और कई साल पहले जबरन बालश्रम में धकेले गए बच्चे बड़े होकर समाज में बदलाव लाने वाले चेहरे बन चुके हैं। ऐसे ही बच्चों को कई साल पहले कभी रोटी के एक टुकड़े के लिए माइका माइन (अभ्रक खदान) में मजदूरी करनी पड़ी थी। अब यही बड़े होकर बालश्रम के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। ऐसे ही होनहारों को विश्व बालश्रम विरोधी दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार को केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने सम्मानित किया। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री इनके कार्यों की जमकर सराहना भी की।  

बाल मजदूर रह चुके यूथ लीडर्स को किया सम्मानित

इस मौके पर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित और जाने-माने बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी द्वारा बाल श्रम के खिलाफ किए गए कार्यों को भी जमकर सराहा। उन्होंने कहा कि वह समाज में बदलाव लाने के लिए इन बच्चों द्वारा किए जा रहे प्रयासों से अभिभूत हैं। इस दौरान उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि क सरकार की तरफ से बच्चों के ऐसे प्रयासों की हरसंभव मदद की जाएगी। सम्मानित होने वालों में निकिता, राधा पांडेय और नीरज के अलावा चंपा कुमारी भी शामिल हैं, जिन्होंने बाल श्रम रोकने की दिशा में काम किया है।

'बाल श्रम की सच्चाई से वाकिफ हूं'

बाल श्रम के खिलाफ अलख जगाने वाले बच्चों के अभिवादन के दौरान केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि वह हाल ही में झारखंड के दौरे पर थे। वहां की जमीनी हकीकत से वह वाकिफ हैं। उन्होंने कहा कि ये आज के यूथ लीडर्स हैं और इनके प्रयास प्रशंसनीय हैं।

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मदद के लिए आगे आया कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेंस फाउंडेशन

वर्ष 2005 से ही कैलाश सत्याहर्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन उन 501 गांव में काम कर रहा है, जहां के बच्चे माइका माइन के जाल में फंसे हुए हैं। फाउंडेशन अब तक 1.01 लाख से ज्यादा बच्चों को इस नर्क से निकाल चुका है। इसके साथ ही बच्चों को माइका माइन से बचाने के लिए फाउंडेशन ने झारखंड सरकार के साथ एक एमओयू भी साइन किया है। इसका मकसद है कि झारखंड को पूरी तरह से बालश्रम से आजादी मिल सके।

साल 2016 में फाउंडेशन ने अपने ‘बाल मित्र ग्राम’ के जरिए माइका माइन वाले इलाकों में एक बड़ा अभियान चलाया था। इसके तहत बच्चों को माइन से निकालकर स्कूलल में दाखिला करवाना था।

यहां पर बता दें कि ‘बाल मित्र ग्राम’ कैलाश सत्या र्थी का एक अभिनव प्रयोग है जिसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि बच्चों का किसी भी तरह का शोषण न हो सके। साथ ही इसमें यह भी तय किया जाता है कि हर बच्चा शिक्षित, स्वतंत्र और सुरक्षित हो।

बता दें कि माइका माइन के चलते झारखंड में हजारों बच्चों को बचपन छिन रहा है। दुनियाभर में माइका आपूर्ति में सिर्फ झारखंड और बिहार का हिस्सा 25 प्रतिशत है। इससे ही बुरे हालात अंदाजा लगाया जा सकता है।