बिहार राज्य के सभी राजनीतिक दलों ने सर्वदलीय बैठक में आम सहमति से तय किया है कि निश्चित समय सीमा के भीतर जाति के आधार पर जनगणना कराई जाएगी। अब दिल्ली में जातिगत जनगणना की मांग को लेकर आंदोलन तक करने की बात कही जा रही है।
नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क। Caste Census in Delhi: राजनीतिक रूप से देश के प्रमुख राज्यों में शुमार बिहार में जातिगत जनगणना पर सहमति बन चुकी है। पिछले सप्ताह है नीतीश कैबिनट ने जाति आधारित जनगणना को हरी झंडी दी है। इसके बाद इसको लेकर खासतौर से बजट पर भी चर्चा तेज है। 2 जून को बिहार मंत्रिमंडल की महत्वपूर्ण बैठक हुई थी, जिसमें बिहार में जातिगत जनगणना के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया था। सबसे अहम बात यह है कि राज्य सरकार अपने खर्च पर यह जनगणना कराएगी। केंद्र सरकार की ओर से किसी तरह की वित्तीय मदद नहीं मिलेगी।
वहीं, बिहारी की तरह ही दिल्ली में भी जातिगत जनगणना की मांग बड़ी तेजी से उठ रही है। इस बाबत दिल्ली प्रदेश ओबीसी विभाग ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआइसीसी) ओबीसी विभाग के राष्ट्रीय चेयरमैन अजय कुमार यादव के निर्देशानुसार जातिगत जनगणना की मांग को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और सभी जिलों के डीसी को ज्ञापन सौंपा गया।
इस अवसर पर दिल्ली कांग्रेस ओबीसी विभाग के चैयरमैन के चौधरी विजय कुमार के नेतृत्व में विभाग के जिला अध्यक्षों ने जिला डीसी को जातिगत जनगणना की मांग को लेकर ज्ञापन दिया और मांग को सांझा किया।
चौधरी विजय कुमार ने मीडिया कर्मियों से बातचीत में कहा कि हम दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी सरकार से मांग करते हैं कि जातिगत जनगणना को दिल्ली में लागू किया जाए और इस विषय पर जल्द से जल्द सरकार ठोस कदम उठाए। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में दिल्ली कांग्रेस ओबीसी विभाग इस मांग को लेकर पूरी दिल्ली में एक प्रदेशव्यापी कार्यक्रम व आंदोलन करेगा।
बता दें कि दिल्ली में जातिगत जनगणना का मुद्दा गरमाया तो इसमें आम आदमी
पार्टी, कांग्रेस की भी एंट्री तय है। दरअसल, भारती जनता पार्टी जातिगत
जनगणना कराने के पक्ष में नहीं है, लेकिन बिहार राजनीतिक समीकरण के चलते
भाजपा को नीतीश कुमार का साथ देना पड़ रहा है। वहीं, अन्य राज्यों में
हालात भिन्न हैं और वहां पर इस मुद्दे पर राजनीति गरमा सकती है।