राज्यसभा चुनाव में शिवसेना की हार पर शरद पवार का चौकाने वाला बयान, कहा- परिणामों को देखकर कतई आश्चर्यचकित नहीं

 

शिवसेना की हार पर शरद पवार को आश्चर्य नहीं (फाइल फोटो)

शरद पवार ने कहा कि कुछ अतिरिक्त मत शिवसेना की झोली में नहीं गए। ये मत हमारे विरोधियों के कोटे के थे और हमारी जानकारी में हमारे उम्मीदवार (प्रफुल पटेल) के पक्ष में गए। ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने कभी न कभी मेरे साथ काम किया है।

 मुंबई: राज्यसभा चुनाव में शिवसेना उम्मीदवार की करारी हार के कुछ ही घंटों बाद अपने पुणे निवास से बाहर निकले शरद पवार ने यह कहकर शिवसेना को और धक्का ही पहुंचाया होगा, कि मैं इन परिणामों को देखकर कतई आश्चर्यचकित नहीं हूं।

शरद पवार महाविकास आघाड़ी के शिल्पकार माने जाते हैं। 2019 में उनकी अगुवाई में शिवसेना ने अप्रत्याशित रूप से अपनी पुरानी साथी भाजपा से नाता तोड़कर कांग्रेस और राकांपा के साथ सरकार बना ली थी। 10 जून को हुए राज्यसभा चुनाव से पहले भी शरद पवार पूरी तरह सक्रिय थे। नरीमन प्वाइंट में विधानभवन से चंद कदमों की दूरी पर होटल ट्राइडेंट में महाविकास आघाड़ी और उसके समर्थक छोटे दलों व निर्दलीय विधायकों को समझाने-बुझाने में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ वह भी वहां उपस्थित थे। इसके बावजूद उनका यह कहना कि इस जीत से हमें अचरज नहीं हुआ, बहुत से लोगों को अचरज में डाल रहा है।

पवार के बयान से असमंजस में शिवसेना

शरद पवार की एक और बात शिवसेना को परेशान करनेवाली है। उन्होंने कहा कि कुछ अतिरिक्त मत शिवसेना की झोली में नहीं गए। ये मत हमारे विरोधियों के कोटे के थे, और हमारी जानकारी में हमारे उम्मीदवार (प्रफुल पटेल) के पक्ष में गए। ऐसे कई लोग हैं, जिन्होंने कभी न कभी मेरे साथ काम किया है। मैं उन्हें कभी कुछ कहूं तो वे न नहीं करेंगे। लेकिन मैं इसमें पड़ा नहीं। भाजपा के कोई मत नहीं फूटे। लेकिन भाजपा समर्थक कुछ निर्दलियों के मत राकांपा के पक्ष में जरूर पड़े। पवार का यह वक्तव्य शिवसेना को सोचने पर विवश जरूर करेगा कि पवार ने अपने कुछ करीबी निर्दलीय विधायकों का मत उसे दिलवाने की कोशिश क्यों नहीं की ?

शिकस्त का आघाड़ी सरकार पर कोई प्रभाव नहीं

लेकिन शिवसेना इस संबंध में पवार से कुछ पूछने की हिम्मत नहीं जुटा सकती। क्योंकि उसका मुख्यमंत्री पद पवार की ही बदौलत चल रहा है। पवार ने यह दावा भी किया है कि आज की शिकस्त का महाविकास आघाड़ी सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह बात भी सही है। क्योंकि राज्यसभा चुनाव के मतदान में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के मत मजबूती से अपने एक-एक उम्मीदवार के पक्ष में खड़े रहे हैं। यहां तक कि राकांपा के अतिरिक्त मत पहली प्राथमिकता में शिवसेना के दूसरे उम्मीदवार को ही मिले हैं। दूसरी बात यह कि त्रिदलीय महाविकास आघाड़ी सरकार तीनों दलों की मजबूरी है। इसलिए कोई इसे गिराने की पहल नहीं कर सकता।