बैंक के डिजिटल उत्पाद आनलाइन ठगी के माध्यम, सतर्कता से करें क्यूआर कोड के जरिये भुगतान

 

सतर्कता से करें क्यूआर कोड के जरिये भुगतान। प्रतीकात्मक

Online Fraud यूजर पढ़ा-लिखा हो या अनपढ़ आजकल सभी आनलाइन ठगी के शिकार हो रहे हैं।तमाम बैंकिंग कामकाज डिजिटल होने से लोगों को बहुत ही सुविधा हुई है परंतु इसके माध्यम से ठगी भी बढ़ गई है लिहाजा इस ओर सतर्क रहने से ही बचाव संभव है।

 वर्तमान डिजिटल दौर में आनलाइन धोखाधड़ी में तेज वृद्धि हुई है। इंटरनेट मीडिया के माध्यम से भी ठगी हो रही है। मित्र या रिश्तेदार की फर्जी प्रोफाइल बनाकर ठगी को अंजाम दिया जा रहा है। आजकल गूगल सर्च इंजन पर लोग अपने हर प्रश्न का उत्तर ढूंढ रहे हैं। ऐसे मनोविज्ञान को दृष्टिगत कर ठग नामचीन भुगतान एप्स के नाम से अपना नंबर इंटरनेट पर सहेज रहे हैं और लोग खुद से उनके जाल में फंस जा रहे हैं।कार्ड : डेबिट और क्रेडिट कार्ड से ठगी मूलत: स्पूफिंग, स्कीमिंग आदि से की जाती है। स्पूफिंग के तहत ठग खुद को बैंक अधिकारी या क्रेडिट कार्ड कंपनी का अधिकारी बताकर यूजर का मोबाइल नंबर, कार्ड नंबर, सीवीवी आदि की मदद से ठगी को अंजाम देते हैं। स्कीमिंग के अंतर्गत कार्ड से भुगतान के दौरान कार्ड को स्कीमर में स्वाइप कर ठग डुप्लीकेट कार्ड बनाकर ठगी करते हैं। हालांकि कार्ड के उन्नत वर्जन में सुरक्षा के बेहतर फीचर होने की वजह से ऐसी ठगी में आजकल कमी आई है।

यूपीआइ : यूपीआइ ने भुगतान प्रणाली को पूरी तरह से बदल दिया है। अब भुगतान के लिए नाम, बैंक खाता संख्या, आइएफएससी कोड, शाखा कोड आदि डालने की जरूरत नहीं होती है। अगर यूजर के मोबाइल में भुगतान करने वाले व्यक्ति का मोबाइल नंबर सेव है तो भुगतान के लिए बस उसके मोबाइल नंबर को सेलेक्ट करके क्लिक करना होता है। यूपीआइ में ‘मनी रिक्वेस्ट’ की सुविधा उपलब्ध है यानी किसी को भी दूसरा व्यक्ति भुगतान हेतु रिक्वेस्ट भेज सकता है। उसके बाद केवल एक क्लिक पर पैसे रिक्वेस्टर के खाते में पहुंच जाते हैं। हालांकि एप्स पर अलर्ट नोटिफिकेशन की सुविधा उपलब्ध होती है, जो ऐसे रिक्वेस्ट के बारे में यूजर को बताता है। संदेहास्पद रिक्वेस्ट को यूजर को तुरंत खारिज कर देना चाहिए, लेकिन अज्ञानता के कारण कई बार गलती हो जाती है। आजकल नकली यूपीआइ एप्स भी गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध हैं, जिनसे सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि इनके इस्तेमाल से आपकी गोपनीय जानकारी ठग के हाथों में पहुंच सकती है।

क्यूआर कोड : क्यूआर एक तरह का बार कोड होता है, जिसे मशीन के जरिये पढ़ा जाता है। दुकान और माल आदि में क्यूआर कोड के माध्यम से भुगतान करने पर जोखिम अपेक्षाकृत कम होता है, लेकिन किसी अंजान व्यक्ति को भुगतान करने पर जोखिम बढ़ जाता है। स्कैमर्स लोगों को ठगने के लिए टेक्स्ट मैसेज भेजते हैं, जिनमें यूजर को कोई पुरस्कार या फिर आफर देने की बात कही गई होती है। पुरस्कार या आफर पाने के लिए यूजर को क्यूआर कोड ओपेन करके पिन नंबर डालने के लिए कहा जाता है। चूंकि क्यूआर कोड को बिना स्कैन किए कोड के अंदर की जानकारी को डिकोड नहीं किया जा सकता है, इसलिए यूजर को स्कैन के बाद दिखने वाले टेक्स्ट को ध्यान से पढ़ना चाहिए। देखा गया है कि अक्सर लोग लालच में आ जाते हैं।

बचाव के उपाय : धोखाधड़ी से बचने के लिए बैंक का कस्टमर केयर नंबर अपने पास रखना चाहिए। अकाउंट नंबर, कस्टमर आइडी नंबर, कार्ड नंबर आदि डायरी में लिखकर घर पर सुरक्षित रखें, कार्ड से जुड़ी कोई भी जानकारी या ओटीपी किसी को न दें, वित्तीय जानकारी फोन में सेव न करें, बैंक खाता और क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट की नियमित तौर पर जांच करें, गड़बड़ी दिखने पर संबंधित बैंक से संपर्क करें, केवल आफिशियल एप स्टोर से ही कोई एप इंस्टाल करें और लोगो एवं स्पेलिंग को अच्छी तरह से चेक करें, कंप्यूटर व मोबाइल में एंटीवायरस साफ्टवेयर इंस्टाल करें और नियमित रूप से सिस्टम को स्कैन करना भी आवश्यक है। कैशबैक या रिफंड वाली स्कीमों के लालच में नहीं आना चाहिए, बैंक के मैसेज नियमित रूप से पढ़ने चाहिए, सार्वजनिक वाइ-फाइ के उपयोग से बचना चाहिए। यदि आपने ऐसा किया है तो यानी अपने बैंक खाते को एक्सेस किया है, तो सिक्योर्ड नेटवर्क पर आते ही पासवर्ड चेंज कर लेना चाहिए।

यूजर पढ़ा-लिखा हो या अनपढ़, आजकल सभी आनलाइन ठगी के शिकार हो रहे हैं। अनेक पढ़े-लिखे और जानकार लोग इससे बच नहीं पा रहे हैं। बैंक के डिजिटल उत्पाद आनलाइन ठगी के माध्यम हैं। इसलिए डिजिटल उत्पादों की बारीकियों को समङों। साथ ही ठगी से बचने के लिए सजग, सतर्क और जागरूक रहें। आनलाइन माध्यम से होने वाली ठगी से ग्राहकों को बचाने के लिए समय समय पर उन्हें जागरूक करने के लिए अभियान भी चलाया जाना चाहिए।