विद्युत क्षेत्र का कायाकल्प, एक उज्ज्वल भारत की दिशा में काम कर रही मोदी सरकार

 

एक उज्ज्वल भारत की दिशा में काम कर रही मोदी सरकार। प्रतीकात्मक

विद्युत क्षेत्र का कायाकल्प मोदी सरकार के प्रयासों से ही ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की औसत उपलब्धता जहां 2015 में 12 घंटे थी वहीं आज यह साढ़े 22 घंटे है। शहरी क्षेत्रों में औसत उपलब्धता साढ़े 23 घंटे है।

 पिछले आठ वर्षो में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने विद्युत क्षेत्र का संपूर्ण कायाकल्प कर दिया है। वर्ष 2014 में कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 2,48,554 मेगावाट थी और पूरे देश में नियमित रूप से लोड शेडिंग होना एक आम बात थी। सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने बिजली उत्पादन क्षमता में 1,69,110 मेगावाट का समावेश किया है। अब हमारे पास 400 गीगावाट की कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता है, जबकि अब तक की अधिकतम मांग 215 गीगावाट की रही है।

एक देश, एक ग्रिड : पिछले आठ वर्षो के दौरान सरकार ने पूरे देश को एक फ्रिक्वेंसी पर चलने वाले एक एकल विद्युत ग्रिड के साथ जोड़ा है। भारतीय ग्रिड अब दुनिया का सबसे बड़ा एकीकृत ग्रिड बन गया है। वर्ष 2014 में अंतर-क्षेत्रीय हस्तांतरण क्षमता 37,950 मेगावाट की थी, जिसे बढ़ाकर 1,12,250 मेगावाट कर दिया गया है। हमारी पारेषण लाइनें 800 केवी एचवीडीसी जैसी दुनिया की चंद सबसे अत्याधुनिक तकनीक से संचालित हैं और दुनिया की चंद दुर्गम ऊंचाई वाले स्थानों पर स्थित हैं। श्रीनगर-लेह लाइन समुद्र तल से 15,000/16,000 फीट की ऊंचाई से गुजरती है।

सबके लिए सुलभ : मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले देश में 18,000 से अधिक गांव और हजारों बस्तियां बिजली से नहीं जुड़ी हुई थीं। 15 अगस्त, 2015 को प्रधानमंत्री मोदी ने लालकिले की प्राचीर से 1000 दिनों में प्रत्येक गांव को विद्युतीकृत करने के लक्ष्य की घोषणा की। यह एक कठिन चुनौती थी, क्योंकि सैकड़ों गांव-बस्तियां हिमालयी क्षेत्र की ऊंची पहाड़ियों पर स्थित थीं, राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में थीं, जहां पोल, कंडक्टर, ट्रांसफार्मर आदि को भी खच्चरों और हेलीकाप्टरों द्वारा ले जाना पड़ता था। सरकार ने निर्धारित तिथि से 13 दिन पहले यानी 987 दिनों में ही इस लक्ष्य को हासिल कर लिया। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने इस उपलब्धि को 2018 की दुनिया के ऊर्जा क्षेत्र की सबसे बड़ी खबर करार दिया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने देश के हर घर को बिजली से जोड़ने का लक्ष्य रखा। हमने इस काम को 18 महीने में पूरा किया। कुल 2.86 करोड़ घर बिजली से जुड़े। यह संख्या जर्मनी और फ्रांस की संयुक्त जनसंख्या के बराबर थी। जैसा कि अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी द्वारा कहा गया है, ‘इतनी कम समय-सीमा में बिजली पहुंचाने की दृष्टि से यह दुनिया के ऊर्जा क्षेत्र के इतिहास में सबसे बड़ा विस्तार था।’

वितरण प्रणाली का सुदृढ़ीकरण : मोदी सरकार ने वितरण प्रणाली को भी सुदृढ़ किया है। 2,01,722 करोड़ रुपये की लागत से सभी राज्यों में वितरण प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए विभिन्न योजनाओं को लागू किया गया है। 2,921 नए सब-स्टेशन जोड़े गए हैं। 3,926 मौजूदा सब-स्टेशनों को उन्नत किया गया है। कृषि फीडरों के निर्माण और विभिन्न राज्यों की वितरण प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए 7,31,961 ट्रांसफार्मर स्थापित किए गए हैं। इन कदमों के चलते ही ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की औसत उपलब्धता जहां 2015 में 12 घंटे थी, वहीं आज यह साढ़े 22 घंटे है। शहरी क्षेत्रों में उपलब्धता का औसत साढ़े 23 घंटे है।

ऊर्जा के क्षेत्र में बदलाव : केंद्र सरकार पर्यावरण को लेकर सजग है। वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री मोदी ने 2022 तक 175 गीगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने के लक्ष्य की घोषणा की। दो साल के कोविड काल के बावजूद आज हमने 158 गीगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित कर ली है, जबकि अन्य 54 गीगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापना की प्रक्रिया में है। मोदी सरकार की कोशिशों के चलते ही भारत नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के मामले में दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाले देश के रूप में उभरा है। हमें नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश की दृष्टि से दुनिया के सबसे आकर्षक केंद्र का दर्जा भी दिया गया है। काप-21 में भारत ने यह संकल्प व्यक्त किया था कि 2030 तक हमारी बिजली उत्पादन क्षमता का 40 प्रतिशत हिस्सा नवीकरणीय ऊर्जा से आएगा। अब हमारा लक्ष्य हर घर में रूफ टाप लगाने और हर सिंचाई पंप को सौरकृत करने का है।

इस प्रकार केंद्र सरकार ने विद्युत क्षेत्र के सभी पहलुओं को शामिल करते हुए व्यापक सुधार किए हैं। जैसे कि विद्युत के प्रवाह के लिए साख पत्र के प्रविधान को अनिवार्य कर दिया गया है और विलंबित भुगतान अधिभार को 18 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया है। विद्युत क्षेत्र के इतिहास में पहली बार उपभोक्ताओं के अधिकारों की व्याख्या करने वाले नियम बनाए गए हैं जिनमें कनेक्शन देने, खराब मीटरों को बदलने, बिलों में सुधार आदि की समय-सीमा शामिल है। पारदर्शिता लाने के लिए सेंट्रल ट्रांसमिशन यूटिलिटी (सीटीयू) को पावरग्रिड से अलग किया गया है। सरकार ने ताप विद्युत संयंत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा को तापीय ऊर्जा और बायो-मास कोफायरिंग के साथ जोड़ने का प्रविधान किया है। डिस्काम में सुधार किए जा रहे हैं। इनमें प्रणालीगत व्यवहार्यता को सुनिश्चित करने और वित्तीय अनुशासन लाने के उद्देश्य से सरकार ने सभी योजनाओं के लिए धन का प्रविधान किया है। सुधारों को अपनाने के आधार पर पावर फाइनेंस कारपोरेशन (पीएफसी) एवं रूरल इलेक्ट्रीफिकेशन कारपोरेशन (आरईसी) के माध्यम से इन्हें सशर्त ऋण प्रदान किया है। इसके कारण 36 डिस्काम सब्सिडी और सरकारी बकायों को निर्धारित समयसीमा के भीतर चुकाने पर सहमत हुए हैं।

कुल मिलाकर संपूर्ण विद्युत व्यवस्था में किए गए व्यापक सुधारों का पैमाना पिछली किसी भी सरकार के कार्यकाल में किए गए सुधारों की तुलना में अद्वितीय है। इस सरकार से पहले किसी भी दूसरी सरकार ने वितरण के क्षेत्र से जुड़े सुधारों को छुआ तक नहीं था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना के अनुरूप हम ‘राष्ट्र के भविष्य को ऊर्जा’ के मिशन के साथ एक उज्ज्वल भारत की दिशा में काम कर रहे हैं।