ये हैं सीमा पर तैनात बीएसएफ की स्पेशल महिला प्रहरी, हाथों में आधुनिक हथियार लेकर रखती हैं दुश्मन पर नजर

 

कंटीली तार के पास तपती दोपहर में मुस्तैद बीएसएफ की महिला प्रहरी। सौ. बीएसएफ

देश की सुरक्षा के लिए संकल्पबद्ध बीएसएफ की महिला प्रहरी भी हाथों में आधुनिक हथियार लेकर सीमा पर डटी हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में गर्मी का प्रकोप अधिक है। सूरज की तपिश के बीच ये प्रहरी चौबीसों घंटे देश की सीमाओं की सुरक्षा में डटी हैं।

अमृतसर। सूरज क्षितिज पर पहुंचकर आग बरसा रहा है। तापमान 44 डिग्री से पार जा पहुंचा है, ऐसे में अधिकांश लोग वातानुकूलित कमरों में बैठ कर रोजमर्रा के कामकाज निपटा रहे हैं। अति जरूरी कार्य होने पर ही घर या कार्यालय से बाहर जा रहे हैं। दूसरी तरफ देश की सुरक्षा के लिए संकल्पबद्ध बीएसएफ के प्रहरी सीमाओं पर डटे हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में गर्मी का प्रकोप अधिक है। सूरज की तपिश के बीच ये प्रहरी चौबीसों घंटे देश की सीमाओं पर तटस्थ हैं।

विशेषकर बीएसएफ की महिला प्रहरी पैनी निगाह से सरहद के उस पार नजर रख रही हैं। लू के थपेड़े भी इन महिला प्रहरियों के हौसले पस्त नहीं कर पाते। उबड़खाबड़ और कांटों भरे रास्तों पर चलकर ये महिला प्रहरी देश के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रही हैं।

बीएसएफ में 100 महिला प्रहरी शामिल हैं। बीएसएफ के गणवेश में इनके व्यक्तित्व में पराक्रम की झलक स्पष्ट नजर आती है। गर्मी में इनके हौसले कभी पस्त नहीं हुए। आधुनिक हथियारों से लैस ये प्रहरी देश के दुश्मनों को मुंह तोड़ जवाब देने में हर पल सक्रिय हैं।

2009 में पहली बार तैनात की गई थी महिला प्रहरी

दरअसल, वर्ष 2009 में अटारी सीमा पर पहली बार बीएसएफ में महिला प्रहरियों को तैनात किया गया था। उस दौरान इन्हें अटारी सीमा पर कंटीली तार के पार जाकर खेती करने वाली महिला किसानों की तलाशी व नजर रखने के लिए लगाया गया था। आज ये प्रहरी पुरुष जवानों के समान सीमा पर हर समय ड्यूटी पर मुस्तैद हैं।

भारत-पाकिस्तान को विभाजित करती अंतरराष्ट्रीय अटारी सीमा पर मुस्तैद महिला प्रहरी सीता रानी का कहना है कि बचपन में बीएसएफ में शामिल होने का संकल्प लिया था। देश की सुरक्षा की जो सौगंध उठाई है, उसे अंतिम श्वास तक निभाएंगी। बीएसएफ में महिलाओं का अलग स्थान और सम्मान है।

लखविंदर कौर का कहना है कि बचपन में चोर-सिपाही का खेल खेलते बीएसएफ में शामिल होने का संकल्प लिया था। पढ़ाई पूरी करने के बाद बीएसएफ में शामिल होने की तैयारियां में जुट गई। परिवार का भी पूरा सहयोग मिला। बीएसएफ की गणवेश पहनते ही मन और मस्तिष्क में नई ऊर्जा का संचार होता है।

अटारी पर परेड में भी लेती हैं हिस्सा

सीमा की सुरक्षा के साथ-साथ ये महिला प्रहरी अटारी सीमा पर प्रतिदिन होने वाली संयुक्त परेड का हिस्सा भी बन रही हैं। दो महिला प्रहरी परेड का नेतृत्व करती हैं। पाकिस्तान स्थित वाघा में भी महिलाओं को रिट्रीट में शामिल किया गया है। देश की सभी महिलाएं व युवतियां जब अपने-अपने घरों में पर्व उत्सव मना रही होती हैं तब भी ये प्रहरी सीमा पर गश्त करती हैं। इनकी सतर्कता व सजगता की वजह से देशवासी सुरक्षित महसूस करते हैं।