Avatar the way of water अवतार 2 इस वक्त की सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाली फिल्म है। डायरेक्टर जेम्स कैमरून की फिल्म अवतार 2 किसी जादूई दुनिया से कम नहीं है।फिल्म ने दर्शकों पर ऐसा रंग जमाया कि बॉक्स ऑफिस ये मूवी रिकॉर्ड तोड़ कमाई कर रही है।
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। Avatar the way of water: पिछले करीब पांच दशक से हालीवुड फिल्मों में सक्रिय सुगोर्नी विवर अवतार : द वे ऑफ वाटर में 14 साल की लड़की किरि की भूमिका में नजर आई हैं। हालांकि असल जिंदगी में वह 73 साल की है। जेम्स कैमरून निर्देशित यह फिल्म वर्ष 2009 में रिलीज फिल्म अवतार की सीक्वल है। सीक्वल में पानी के अंदर काफी रोमांचक दृश्य हैं। इससे पहले जेम्स की फिल्म एलियंस (1986) में सुगोर्नी काम कर चुकी हैं। उनसे वर्चुअल काल पर हुई बातचीत के अंश :
13 साल बाद फिल्म की सीक्वल से दोबारा जुड़ना कैसा रहा?
13 साल के बाद आना मेरे लिए बहुत नया रहा, क्योंकि फिल्म में मैंने इस बार नया पात्र निभाया है, जो चुनौतीपूर्ण था। मेरे पास रिसर्च करने का वक्त था। मैं बच्चों के साथ क्लासेस लेती थी कि वह कैसे बात करते हैं, उनकी आवाज का पिच कितना है, क्योंकि मैंने फिल्म में 14 साल की लड़की की भूमिका निभाई है। हमारी स्क्रिप्ट में खुशहाल परिवार की भावनात्मक कहानी है। स्क्रिप्ट में जेम्स की जो भावनाएं अपने परिवार को लेकर हैं, वो झलक रही थी। बच्चे कैसे एक-दूसरे के साथ मस्ती करते हैं। मजाक बनाते हैं, लेकिन वक्त आने पर एक-दूसरे के साथ खड़े होते हैं। हम सभी कलाकार अपने काम को लेकर सेट पर बहुत ही समर्पित थे। मैं काम करते वक्त यह नहीं सोच रही थी कि फिल्म पर कितने पैसे लगे हैं। मैं बस यह सोच रही थी कि मुझे क्या करना है। कहानी को कैसे सपोर्ट करना है, बच्चों के साथ कैसे काम करना है।
आप पिछले पांच दशकों से काम कर रही हैं। कई सशक्त भूमिकाएं निभाई हैं...
हां, लेकिन मैंने जो भूमिकाएं निभाई हैं, वह पहले से पावरफुल नहीं होती हैं, वह अपनी पावर खुद ढूंढती हैं। इस फिल्म में मेरा पात्र किरि योद्धा नहीं है। मैंने जो भूमिकाएं अब तक निभाई हैं, यह उससे बिल्कुल उलट है। किरि बहुत ही सौम्य है, वह अपने जंगल के घर में जानवरों, पेड़-पौधों के बीच बहुत खुश है। अंडरवाटर भी उसकी अपनी एक दुनिया है। वह तब तक सौम्य है, जब तक की वह अपने लिए खड़ी नहीं होती है। में 14 साल की उम्र की भूमिका निभाना और उस उम्र के बच्चों के साथ काम करने के लिए क्या सीखना पड़ा?
जब हमने फिल्म का प्री प्रोडक्शन शुरू किया था। तब मैंने बाकी बच्चों के साथ क्लासेस की थी, ताकि उनके साथ भाई-बहन वाला रिश्ता विकसित हो पाएं। उस वक्त कोई स्पेशल इफेक्ट्स नहीं थे। मैं जिस उम्र में हूं, उसी उम्र में उनके साथ थी। उन्होंने मुझे आसानी से अपना लिया। मुझे अपने ऊपर से उम्र का आवरण उतारना पड़ा। खुद में ऐसा करने की वह योग्यता विकसित करनी पड़ी। मैं नहीं चाहती थी कि वह मुझे एक बुजुर्ग महिला की तरह देखें। बच्चों के साथ काम करके बहुत मजा आया। वह बहुत प्रतिभाशाली हैं। तैराकी सबसे मुश्किल हिस्सा था। मैं पानी के साथ सहज हूं, लेकिन मुझे भी कई चीजें सीखनी पड़ी, जो मैंने पहले नहीं की हैं। जेम्स ने हमें अच्छे प्रशिक्षक दिए थे। जब हमने तीन महीने बाद सीन्स शूट किए थे, तो हम उसे सही से कर पा रहे थे। अगर हम वह ट्रेनिंग नहीं लेते और सिर्फ दिखावा करते कि हम पानी में हैं, तो वह वास्तविक नहीं लगता।
जेम्स कैमरून के साथ फिर से काम करने का अनुभव कैसा रहा?
वह बहुत अच्छे लेखक हैं, वह पता नहीं कैसे ऐसी कहानियां लिख लेते हैं, जो बहुत निजी और भावनात्मक होती हैं। उनकी कहानियों के पात्र कमाल के होते हैं। उन्होंने कई सफल फिल्मों पर काम किया है। वह हर डिपार्टमेंट को अच्छे से जानते हैं कि उन्हें कैसे काम करना चाहिए। इतने सालों बाद जो एक बदलाव मैंने देखा है, वह यह है कि अब वह बहुत ज्यादा चंचल हो गए हैं। फिर भले ही हम गंभीर सीन कर रहे होते हैं, वह खुशनुमा माहौल बनाए रखते हैं। हम सब परिवार की तरह हैं। वह बहुत ही अलग तरह का सेट बनाते हैं, जिससे यह पता चलता है कि कुछ खास कहानी में होने वाला है, जो वास्तविकता के करीब होगा
जेम्स कैमरून ने कहा था कि वह भारतीय पौराणिक कहानियों के काफी करीब हैं। आपकी इस बारे में जानकारी कितनी है?
जेम्स का कनेक्शन होगा, वह इसके बारे में जानते हैं। हालांकि यह मेरी पढ़ाई-लिखाई का हिस्सा नहीं रहा है। ऐसे में मैं माफी चाहूंगी कि मैं इसके बारे में नहीं जानती हूं। हम यह जरूर चाहते हैं कि भारतीय दर्शक इस फिल्म से जुड़ें। वह अवतार की इस फ्रेंचाइजी फिल्म के लिए बहुत ही अहम दर्शक हैं।
आप कई साइंस फिक्शन फिल्मों का हिस्सा रही हैं। क्या इतने सालों में आपके काम करने के तरीकों में कोई बदलाव आया है? क्या ऐसी फिल्मों के सेट पर काम करना रंगमंच पर काम करने जैसा है?
हां, पहली अवतार फिल्म के दौरान ही इस बात का अहसास हो गया था। मूल फिल्म में मेरे पात्र को लाइव एक्शन करना था। अवतार भी लेना था। इस सेट पर आने पर एक आजादी महसूस होती है। कोई हेयर मेकअप नहीं करना होता था। खाली स्टेज था। आप कैमरा के सामने जब दूसरे एक्टर्स के साथ काम करते हैं, तो सब चीजें सही होती हैं। तकनीक के जरिए अब पहले से ज्यादा संवेदनशील चीजों को दिखा जा सकता है। मेरा किरदार कि बहुत ही संवेदनशील पात्र है। वह हमेशा खुश रहने वाली लड़की नहीं है। मैं सेट पर कुछ भी नियंत्रित होकर नहीं कर रही थी। आप कह सकते हैं कि मैं वही पात्र बन गई थी। हमारे सिर पर हेलमेट में भी कैमरा लगा हुआ था। लेकिन जैसे ही हम सीन करते थे, यह सारी चीजें भूल जाते थे। इस सेट पर काम करने से पहले के जमाने के रंगमंच की यादें ताजा हो गईं।