जैसा की नाम से ज़ाहिर है कि नेज़ल वैक्सीन को इंजेक्शन की मदद से नहीं लगाया जाता, इसकी बूंदें व्यक्ति की नाक या मुंह में डाली जाती हैं। इस वैक्सीन की म्यूकोसल लाइनिंग पर काम करने की उम्मीद है। जिससे मानव शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया शुरू होगी और वायरस को हमला नहीं करने देगी। ऐसा माना जा रहा है कि यह वैक्सीन इन्फेक्शन को मानव शरीर में एंट्री ही नही करने देगी, जिससे इसका प्रसार नहीं होगा। नेज़ल वैक्सीन इन्जेक्शन के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल की जाती है। खासतौर से छोटे बच्चों या बुज़ुर्गों के लिए जिन्हें ट्रायपानाफोबिया यानी सुई से दहशत है।
नेज़ल वैक्सीन की क्या फायदे हैं?
- इसे लगाना आसान है, क्योंकि इसमें सुई का इस्तेमाल नहीं होता।
- सुई का उपयोग न होने से कई तरह के जोखिम कम हो जाते हैं, जैसे चोट और संक्रमण।
- क्योंकि इसे लगाना आसान है, इसलिए इसके लिए ट्रेन्ड हेल्थकेयर वर्कर की ज़रूरत नहीं पड़ती।
क्या नेज़ल वैक्सीन के साइड-इफेक्ट्स हैं?
- तीसरे फेज़ के क्लीनिकल ट्रायल में 3000 प्रतिभागी शामिल थे। जिन्हें 4 हफ्ते के अंतर से दो डोज़ दी गई थीं। इन डोज़ के बाद लोगों में इम्यूनिटी अच्छी देखी गई थी।
- इस वैक्सीन के साइड-इफेक्ट्स में सिर दर्द, बुखार, नाक बहना, छींकें देखी गईं। जबकि गंभीर एलर्जिक इन्फेक्शन कम ही लोगों में दिखे।
किन लोगों को नहीं लेनी चाहिए नेज़ल वैक्सीन?
कंपनी की सलाह है कि नेज़ल वैक्सीन की डोज़ उन लोगों को नहीं लेनी चाहिए जिन्हें:
- वैक्सीन के किसी सामग्री से एलर्जी हो।
- वैक्सीन की पिछली डोज़ के बाद गंभीर एलर्जी रिएक्शन हुए हों।
- इस वक्त गंभीर इन्फेक्शन या फिर बुखार हों।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।