अपनी गलतियों से अनजान नवजात अस्पताल में कर रहा माता-पिता का इंतजार, आया ने दिया मां का आंचल

 

संवाददाता, कौशांबी: कंस के भय से अपने कलेजे के टुकड़े को यशोदा को सौंपने वाली देवकी की कहानी तो सभी ने सुनी है, लेकिन सामाजिक झंझावतों से बचने के लिए अपने कलेजे के टुकड़े को अस्पताल में छोड़कर जाने वाली दुष्कर्म पीड़िता ने 14 दिन में एक बार भी बच्चे हाल जानने की कोशिश नहीं की।

हालांकि, दुधमुहे को मां का न सही, लेकिन जिला अस्पताल की वार्ड आया शीला विश्वकर्मा का आंचल जरूर मिल गया है। या यूं कहें कि एक मां बिछड़ी तो शीला सहित महिला स्टाफ को मां के रूप में मासूम आंखों से दुधमुंहा निहार कर किलकारी लेता है। उसके लालन-पालन में सभी महिला स्टाफ इस कदर मशगूल रहती हैं, मानों वह सब उसकी असली मां हों।

यह है पूरा मामला

चरवा क्षेत्र में चाचा ने किशोरी के साथ दुष्कर्म किया था, जिसके बाद वो गर्भवती हो गई। मामले में मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर अदालत से जब गर्भपात कराने की इजाजत नहीं मिली तो उसका प्रसव 13 दिसंबर को जिला अस्पताल में कराया गया था। कम उम्र में मां बनने के कारण नवजात काफी कमजोर था। उसे चिकित्सकों ने एसएनसीयू (विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई) में भर्ती करा दिया। 15 दिसंबर को ही दुष्कर्म पीड़िता को स्वास्थ्य में राहत महसूस हुई तो वह अपने माता-पिता के साथ घर चली गई। लेकिन इसके बाद यूनिट में भर्ती दुधमुंहे को पलट कर भी नहीं देखा।

इस हृदय विदारक मंजर को देखकर सभी हतप्रभ रह गए थे। वहीं मां को अपने से बिछड़ता देख नवजात रोता रहा। हालांकि, अस्पताल की महिला स्टाफ ने चिकित्सकों की मदद से उसका लालन-पालन करना शुरू कर दिया। वार्ड आया शीला विश्वकर्मा ने बताया कि हर सुबह गर्म पानी से कपड़े के सहारे बच्चे के शरीर की धुलाई व मलमूत्र साफ करने के अलावा समय-समय पर दूध भी पिलाया जाता है। पारी-पारी से महिला स्टाफ बच्चे की देखभाल करती हैं औरलउनकी गोद में नवजात खुद को काफी सहज भी महसूस करता है। उन्होंने बताया कि उसकी गोद में आते ही नवजात का रोना तक बंद हो जाता है और मां का आंचल समझकर सो जाता है। महिला कर्मियों ने बताया कि 13 दिन का समय बीत चुका है लेकिन उसके परिवार का कोई सदस्य देखने तक नहीं आया।

नवजात को गोद लेने वालों की लंबी कतार

मां शब्द की हकीकत से दूर और अपनी गलतियों से अनजान दुधमुंहे का मामला सुर्खियों में आने के बाद उसे गोद लेने वालों की लाइन लगनी शुरू हो गई है। मंगरलवार को फतेहपुर से दंपत्ति आए थे। सीएमएस डा. दीपक सेठ से बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी ले रहे थे। इसके पहले भी चरवा क्षेत्र से एक दंपति अस्पताल पहुंचा था। उनके कोई औलाद नहीं है। वह भी बच्चे को गोद लेना चाहते हैं।

इसी तरह लखनऊ की एक महिला भी अफसरों से संपर्क में है कि बच्चा उन्हें मिल जाए। बहरहाल अभी बच्चा काफी कमजोर होने के कारण चिकित्सक गोद दिए जाने की प्रक्रिया से गुरेज कर रहे हैं।

सीएमएस जिला अस्पताल के डा. दीपक सेठ का इस बारे में कहना है कि एसएनसीयू में भर्ती नवजात काफी कमजोर है। उसे दवाओं के साथ दूध पिलाया जाता है। इसमें अस्पताल की महिला स्टाफ का कार्य सराहनीय भी है। कई लोगों ने बच्चे को गोद लेने के लिए संपर्क किया है लेकिन जब तक उसके स्वास्थ्य को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं होंगे, तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता। बच्चे के पूरी तरह स्वस्थ होने पर ही बाल कल्याण समिति के अलावा उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जाएगा।


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