हमारी नियोजन नीति से दूसरे राज्यों को है परेशानी लेकिन झारखंड के नौजवानों के लिए हम प्रतिबद्ध - हेमंत सोरेन

 

विधानसभा में पेश किया गया वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 8533 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट।

विधानसभा में नियोजन के मुद्दे पर बात करते हुए मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि सभी राज्यों की अपनी नियोजन नीति है लेकिन झारखंड की नियोजन नीति से दूसरे राज्यों को ज्यादा परेशानी हो रही। सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है।

रांची, राज्य ब्यूरो: विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अनुपूरक बजट पर चर्चा के बाद कहा कि सरकार का प्रयास था कि राज्य के मूलवासियों व आदिवासियों के लिए नियोजन नीति बनाई जाए। ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि इसके पहले जो राज्य में नौकरी लेकर आए थे, वे न तो यहां की संस्कृति और न ही यहां की भाषा से परिचित थे। वे यहां क्या कर रहे होंगे, यह समझा जा सकता है। सरकार इस राज्य के सवा तीन करोड़ लोगों के प्रति प्रतिबद्ध है।

नौजवान जो चाहेगा वही होगा

झारखंड उच्च न्यायालय से नियोजन नीति रद्द होने के बाद से ही नौजवान धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है। हमारा प्रयास है कि विधिसम्मत और संवैधानिक रूप से राज्य के बच्चों और नौजवानों के हक में निर्णय लिया जाए। इसे लेकर सरकार आगे बढ़ रही है। राज्य के नौजवान जो चाहेंगे, वही होगा।

मुख्यमंत्री के संबोधन से पहले विपक्ष ने किया वाकआउट

मुख्यमंत्री का संबोधन आरंभ होने के पहले ही विपक्षी सदस्य सदन से बाहर चले गए। इससे पहले विधानसभा में चर्चा के बाद वित्तीय वर्ष 2022-23 के 8533 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पारित हो गया। सदन में अनुपूरक बजट के कटौती प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान नियोजन नीति और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश की। यह भी कहा कि कहां साल में पांच लाख युवाओं को नौकरी देने का वादा था और दी सिर्फ 357 नौकरियां।

विधायक अमित यादव ने इसके इस प्रस्ताव के दौरान राशन कार्ड बंद होने सहित विभिन्न विसंगतियों से सदन को अवगत कराया। सरकार की ओर से इस पर वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने उत्तर दिया और सुझावों पर अमल करने की बात कही। चर्चा के बाद मुख्यमंत्री ने युवाओं के नौकरियों के मुद्दे पर केंद्र सरकार को भी आड़े हाथ लिया और कहा कि झारखंड के ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे बड़ी संख्या में सेना व बैंक में जाते हैं। केंद्र ने नौकरियों का जो हस्र किया, उसे सबने देखा। ट्रेनें जलीं, पूरे देश में बवाल हुआ।

हमारी नियोजन नीति से दूसरे राज्यों को परेशानी क्यों

मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी राज्यों की अपनी नियोजन नीति है, लेकिन झारखंड की नियोजन नीति से दूसरे राज्यों को परेशानी ज्यादा हो रही है। नियोजन नीति के विरोध में जो लोग झारखंड उच्च न्यायालय में शिकायतकर्ता थे, वे बिहार और उत्तर प्रदेश के थे। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य के नौजवानों को नौकरी के लिए फार्म भरने की दर घटाई। अब नई नीति में उन्हें दोबारा फार्म भरना पड़ेगा या नहीं, इस बिंदु पर भी विचार किया जाएगा। राज्य सरकार बौद्धिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षित बनाने में जुटी है ताकि उनकी बौद्धिक क्षमता बढ़े।