नई दिल्ली एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र के नोटबंदी वाले फैसले को सही ठहराया है। बता दें कि 2016 में मोदी सरकार ने 500 और 1000 रुपए के नोट बंद कर दिए थे। इस पर शीर्ष अदालत में पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने 4:1 के बहुमत से नोटबंदी के पक्ष में फैसला सुनाया। इस केस से जुड़े टाइमलाइन पर एक नजर डालते हैं।
8 नवंबर, 2016: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित किया और 500 व 1000 रुपये के नोटों को बंद करने की घोषणा की।
16 दिसंबर, 2016: तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले को पांच न्यायाधीशों की एक बड़ी बेंच के पास भेजा।
11 अगस्त, 2017: आरबीआई ने बताया कि नोटबंदी के दौरान 1.7 लाख करोड़ रुपये की असामान्य राशि जमा हुई। साथ ही यह भी बताया गया कि नोटबंदी के कारण बैंकिंग प्रणाली में 2.8 से 4.3 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि जमा होने का अनुमान है।
23 जुलाई, 2017: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आयकर विभाग द्वारा पिछले तीन वर्षों में बड़े पैमाने पर तलाशी, जब्ती और सर्वेक्षण से अघोषित आय के 71,941 करोड़ रुपये का पता चला है।
25 अगस्त, 2017: आरबीआई ने 50 रुपये और 200 रुपये के नए नोट जारी किए।
28 सितंबर, 2022: सुप्रीम कोर्ट ने जज एस ए नजीर की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ का गठन किया। साथ ही उन्होंने कहा कि इस पर विचार किया जाएगा कि क्या नोटबंदी को चुनौती देने वाली याचिकाएं एक अकादमिक कवायद हैं।
7 दिसंबर, 2022: सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा। केंद्र और आरबीआई को अवलोकन के लिए संबंधित रिकॉर्ड रखने का निर्देश दिया।
2 जनवरी, 2023: जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने 4:1 के बहुमत से नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया। बेंच ने कहा कि आर्थिक फैसलों को बदला नहीं जा सकता।
2 जनवरी, 2023: जस्टिस बीवी नागरत्ना ने नोटबंदी के फैसले पर असहमति जाहिर की। उन्होंने कहा कि 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोटों को केवल अधिसूचना के जरिए नहीं, बल्कि कानून के माध्यम से समाप्त किया जाना चाहिए था।