राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने आगामी विधानसभा चुनाव और महाराष्ट्र लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उद्धव ठाकरे की शिवसेना और राकंपा को एक साथ मैदान में उतरने की नसीहत दी है। साथ ही उन्होंने बताया कि कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है।
कोल्हापुर, पीटीआई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने रविवार को 2024 में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा और लोकसभा चुनाव में शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट और कांग्रेस को एमवीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की नसीहत दी है। पत्रकारों से बात करते हुए, उन्होंने दावा किया कि शिवसेना में विभाजन के बावजूद जमीनी तौर पर काम करने वाले "कट्टर" शिवसैनिकों में से अधिकांश उद्धव ठाकरे के साथ खड़े हैं।पवार ने कहा कि विधायकों और सांसदों ने भले ही एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ गठबंधन कर लिया हो, लेकिन जब चुनाव होंगे तो उन्हें भी पता चल जाएगा कि लोगों की क्या राय है। 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद, ठाकरे ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से नाता तोड़ लिया था और राज्य में महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार बनाने के लिए एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था। पिछले साल जून में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना नेतृत्व के खिलाफ हो गए जिसके बाद महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार गिर गई थी।
"गठबंधन के साथ चुनाव लड़ने में समझदारी"
गठबंधन के मुद्दे पर एक सवाल के जवाब में पवार ने कहा, "समझदारी इसी में है कि आने वाले लोकसभा और महाराष्ट्र पोल के लिए कांग्रेस, राकांपा और उद्धव ठाकरे को साथ काम करना चाहिए। साथ ही इसमें रिपब्लिकन पार्टी और कुछ समूहों को शामिल किया जाना चाहिए, लेकिन अभी हम इसपर चर्चा कर रहे हैं। हम कई मुद्दों पर मिलजुल कर निर्णय लेते हैं, इसलिए इसमें कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।" राकांपा प्रमुख ने पिछले साल भी कहा था कि एमवीए के सहयोगियों को मिलकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लड़ना चाहिए।
आपको बता दें, लोकसभा चुनाव मई 2024 में होने हैं और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव अगले साल अक्टूबर में होंगे। ठाकरे ने पिछले साल नवंबर में महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव की भविष्यवाणी की थी और अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से तैयारी शुरू करने को कहा था।
सीमा विवाद को लेकर बुलाई गई बैठक
महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच चल रहे सीमा विवाद के मुद्दे पर शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विभिन्न दलों की बैठक बुलाई है। उन्होंने कहा कि देश के सभी वरिष्ठ कानूनी विशेषज्ञों को शामिल करके इस मामले को मजबूती से अदालत के सामने पेश किया जाना चाहिए। फिलहाल, सीमा विवाद उच्चतम न्यायालय के पास लंबित है।
यह मुद्दा 1957 में भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के बाद से शुरू हुआ है। महाराष्ट्र ने बेलगावी पर दावा किया जो तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा था। उनका कहना है कि इसमें मराठी भाषी आबादी का एक बड़ा हिस्सा है। महाराष्ट्र की तरफ से 800 से अधिक मराठी भाषी गांवों पर भी दावा किया जो वर्तमान में कर्नाटक का हिस्सा हैं।
कर्नाटक ने राज्य पुनर्गठन अधिनियम और 1967 महाजन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भाषाई आधार पर किए गए सीमांकन को अंतिम रूप माना है।