धनुष' टूटते ही खो गई 'चांदी' की चमक: चाय बेचकर कर्ज चुका रही राष्ट्रीय महिला तीरंदाज, अमेरिका जाने की थी हसरत

 


धनुष के साथ ही टूट गए दीप्ति के सपने

नेशनल टूर्नामेंट में झारखंड के लिए सिल्वर मेडल जीत चुकी राष्ट्रीय तीरंदाज दीप्ति कुमारी रांची में चाय की दुकान चला कर परिवार का भरण-पोषण कर रही है। दीप्ति के अनुसार 2013 में कोलकाता में साईं सेंटर में वर्ल्ड कप कैडेट ट्रायल के दौरान किसी ने उसका धनुष तोड़ दिया था।

लोहरदगा,: नेशनल टूर्नामेंट में झारखंड के लिए सिल्वर मेडल जीत चुकी राष्ट्रीय तीरंदाज दीप्ति कुमारी रांची के अरगोड़ा चौक पर चाय की दुकान चला कर परिवार का भरण-पोषण कर रही है। दीप्ति के अनुसार 2013 में कोलकाता में साईं सेंटर में वर्ल्ड कप कैडेट ट्रायल के दौरान किसी ने उसका धनुष तोड़ दिया था।

अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में महंगे धनुष की जरूरत होती है। झारखंड के तीरंदाज प्रतिभा होने के बावजूद कई बार धनुष की कमी से इन प्रतियोगिताओं में भाग लेने से चूक जाते हैं। दीप्ति वर्ल्ड कप कैडेट के ट्रायल में सफल होकर अमेरिका जाना चाहती थी। इसके लिए बड़ी मुश्किल से कर्ज लेकर किसी तरह उसने वह धनुष साढ़े चार लाख रुपये में जमशेदपुर के एक व्यक्ति से खरीदा था।

ट्रायल के दौरान किसने उसका धनुष तोड़ा, पता नहीं, लेकिन धनुष टूटने से उसके सपने भी टूट गए और जिंदगी पहले से ज्यादा कठिन हो गई। आज भी वह उस धनुष को खरीदने के लिए लिया गया कर्ज चुका रही हैं। उसके माता-पिता ने लगभग सात लाख रुपये का कर्ज अलग-अलग महिला समिति के माध्यम से लिया था।

दीप्ति कहती हैं कि इस कर्ज को चुकाने के लिए वह रांची में चाय बेचने का काम करती हैं। साथ ही रांची में कुछ बच्चों को तीरंदाजी भी सिखाती हैं। वह पहले लोहरदगा के ललित नारायण स्टेडियम में बच्चों को तीरंदाजी सिखाती थी। वहां असामाजिक तत्वों द्वारा परेशान किए जाने की वजह से उसने सिखाना छोड़ दिया। यदि उस वक्त वह ट्रायल में कामयाब हो जाती तो उसका अमेरिका में खेलने का सपना पूरा हो सकता था।

दीप्ति कहती है कि गरीबी की वजह से मेरा देश के लिए मेडल जीतकर लाने का सपना बिखर गया, लेकिन उसका हौसला नहीं टूटा है।