![राज्य के वित्तीय मुद्दों को लेकर पीएम को अर्जी देगी केरल सरकार।](https://www.jagranimages.com/images/newimg/05012023/05_01_2023-kerala_23284134.webp)
केरल की वित्तीय मुद्दों को लेकर राज्य सरकार ने पीएम को अर्जी देने का फैसला किया है। उन्होंने फैसला किया है कि वह केन्द्र सरकार से अनुरोध करेगी कि 2017 से पहले की तरह उधार सीमा को बहाल कर दिया जाए।
केरल, एएनआई। केरल सरकार ने केंद्रीय और राज्य वित्तीय के गंभीर मुद्दों पर प्रधानमंत्री को एक याचिका प्रस्तुत करने का फैसला किया है। बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। याचिका पत्र में केंद्रीय और राज्य की महत्वपूर्ण वित्तीय मुद्दों के बारे में बताया गया है।
2017 से पहले की उधार सीमा बहाल
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, राज्य सरकार ने योजना बनाई है कि वो केंद्र सरकार एक बार फिर राज्य सरकार की उधार सीमा को 2017 से पहले की तरह ही बहाल कर दें। राज्य को जिन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है वो संघीय सिद्धांतों के अनुरूप नहीं हैं इसलिए इसे एक याचिका के जरिए प्रधानमंत्री के सामने पेश किया जाएगा।
सीएमओ के बयान के अनुसार, 2017 में, केंद्र सरकार ने राज्य की स्व-उधार सीमा की गणना करते समय सार्वजनिक खाते में अलग रखी गई राशि को भी राज्य के सार्वजनिक ऋण में शामिल करने का फैसला लिया था जो कि संविधान के अनुच्छेद 293(3) की गलत व्याख्या थी।
बयान के अनुसार, सरकारी गारंटी के आधार पर राज्य सरकार के अधीन लिए गए ऋण राज्य सरकार की प्रत्यक्ष देनदारियां नहीं हैं। उन्हें केवल राज्य की आकस्मिक उत्तरदायी माना जा सकता है। केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार के सभी ऋणों को अब सार्वजनिक ऋण में शामिल किया जा रहा है। लेकिन यह केंद्र सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और इसी तरह के कई संस्थानों द्वारा लिए गए ऋणों पर लागू नहीं हो रहा है।
सीएमओ की प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, यह अधिनियम संघीय सिद्धांतों का उल्लंघन है और राज्य के विकास में बाधक है। इस संदर्भ में, राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वह राज्य सरकार की उधार सीमा निर्धारित करने और 2017 के पूर्व की स्थिति को बहाल करने के निर्णय पर विचार करें।