इस साल किस वाहन से सवार होकर आ रही हैं संक्रांति, जानिए देश दुनिया पर इसका असर

 


Makar Sankranti 2023: इस साल किस वाहन से सवार होकर आ रही है संक्रांति, जानिए देश दुनिया पर इसका असर

Makar Sankranti 2023 ज्योतिष गणना के अनुसार सूर्य जब उत्तरायण की स्थिति में आता है यानी मकर राशि में प्रवेश करते है तो खरमास समाप्त हो जाएंगे और शुभ काम होना शुरू हो जाएंगे। जानिए इस साल किस वाहन में सवार होकर आ रही हैं संक्रांति।

 नई दिल्ली, Makar Sankranti 2023: ज्योतिष गणना के अनुसार, साल में सूर्यदेव एक अवधि तक एक-एक करके 12 राशियों में प्रवेश करते हैं। जब सूर्य देव राशि परिवर्तन करते हैं, तो इसे संक्रांति नाम से जानते हैं।  इसके साथ ही जिस राशि में प्रवेश कर रहे है उस राशि का नाम आगे जुड़ जाता है। इसी तरह सूर्यदेव नए साल में 14 जनवरी की रात को मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं। ऐसे में मकर संक्रांति का योग बनता है। जानिए 12 संक्रांति में से मकर संक्रांति क्यों होती है खास और किस तरह इस साल संक्रांति आ रही हैं।

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ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार,  इस साल की संक्रांति विशेष ग्रहों, नक्षत्रों और आयुध के साथ वाहनों से युक्त होगी। ऐसे में इसका फल भी अलग-अलग होगा। इस बार संक्रांति वराह में सवार होकर आ रही हैं और उप वाहन वृषभ यानी बैल है: मकर संक्रांति पर बन रहा खास योग, सुख-समृद्धि के लिए ऐसे करें सूर्यदेव की पूजा

मकर संक्रांति 2023 का क्या होगा फल

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मकर संक्रांति के कारण देश दुनिया में  काफी फल पड़ने वाला है। कई क्षेत्रों में बारिश कम होगी जिसके कारण सूखा का प्रभाव अधिक रहेगा। इसके साथ ही बदलते मौसम के कारण अधिक लोगों के सेहत पर बुरा असर पड़ेगा।  वहीं सरकारी कर्मचारियों के प्रति लोगों का काफी गुस्सा बढ़ेगा। यह संक्रांति कई लोगों के लिए शुभ साबित नहीं होगा।

संक्रांति काल

वाहन - वराह

उप वाहन - वृषभ

वस्त्र - हरा रंग

पुष्प - बकुल

अवस्था - वृद्धावस्था

लेपन - चंदन

हथियार - खड्ग

आभूषण - मोती की माला

पात्र - ताम्र पात्र

भिक्षा - अन्न

दिशा - पश्चिम से उत्तर

दृष्टि- ईशान

स्थिति-बैठी हुई

वर्ण-भूत

मकर संक्रांति क्यों होती है खास

बता दें कि सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो मकर संक्रांति होती है। जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो ये पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध की ओर गति करने लगती है। भारत उत्तरी गोलार्ध में होने से दिन बड़े और रात छोटी होने लगती हैं। इसके साथ ही सूर्य की रोशनी अधिक समय तक फसलों में रहती हैं।  इसलिए मकर संक्रांति को खास माना जाता है। 

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