दिल्ली-एनसीआर की पुलिस अत्याधुनिक संसाधनों से लैस तो है लेकिन संसाधनों का प्रयोग कैसे किया जाए इसको लेकर पुलिस को चिंता करने की जरूरत है। सभी आला अधिकारियों को इसके लिए मॉनिटरिंग सिस्टम को दुरुस्त करना पड़ेगा। तकनीक से आप हर तरह की मदद ले सकते हैं।
नई दिल्ली, संवाददाता : दिल्ली-एनसीआर की पुलिस अत्याधुनिक संसाधनों से लैस तो है लेकिन संसाधनों का प्रयोग कैसे किया जाए इसको लेकर पुलिस को चिंता करने की जरूरत है। सभी आला अधिकारियों को इसके लिए मॉनिटरिंग सिस्टम को दुरुस्त करना पड़ेगा। तकनीक से आप हर तरह की मदद ले सकते हैं। अपराध होने से पहले उसे रोक भी सकते हैं और अपराध हो जाने पर उससे आरोपितों की पहचान कर पकड़ने में भी मदद ले सकते हैं।
अलग-अलग इलाके में अलग-अलग तरह के क्राइम पैटर्न
दिल्ली में अलग-अलग इलाके में अलग-अलग तरह के क्राइम पैटर्न होते हैं। किसी इलाके में कुछ खास तरह का अपराध अधिक होता है तो किसी में कुछ अन्य तरह का अपराध होता है। ऐसे में पुलिस को हर क्षेत्र में अपराध के तौर-तरीके को लेकर अध्ययन करना होगा। उसके बाद उक्त अपराध को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने होंगे। जैसे किसी इलाके में सुबह के समय किसी खास तरह का अपराध होता है तो किसी में दोपहर, शाम अथवा देर रात। कहीं पिकेट लगाने होंगे, पिकेट को किसी जगह नियमित तौर पर लगाने होगा अथवा बदलाव करते रहना होगा यह सब अपराध के तरीके के अनुसार कदम उठाना होगा।
नहीं होती कैमरों की रियल टाइम मानीटरिंग
तकनीक के मामले में देश काफी आगे निकल चुका है। दिल्ली एनसीआर के लोग भी काफी जागरूक हैं। मौजूदा समय में सभी जगह सीसीटीवी लगे हैं। कुछ पुलिस विभाग की ओर से थानों व सड़कों पर लगाए गए हैं तो कुछ सरकार, बाजार व आरडब्ल्यूए एसोसिएशन व कुछ स्वयं आम लोगों ने लगा रखे हैं। लेकिन इन कैमरों का रियल टाइम मानीटरिंग नहीं होती है। इसलिए अपराध होने से पहले उसे रोकने में असमर्थता है।
अपराध हो जाने के बाद अपराधियों की पहचान करने के लिए कैमरों की मदद ली जाती है। दिल्ली के तो लगभग सभी थानों में सीसीटीवी हैं। अधिकतर थानाध्यक्षों ने अपने पूरे इलाके के महत्वपूर्ण जगहों के कैमरों पर नजर रखने के लिए अपने कमरे में कंट्रोल रूम बना रखे हैं। ऐसे में अगर किसी पुलिसकर्मी द्वारा उक्त कैमरों का रियल टाइम मॉनिटरिंग करें तो कई तरह का स्ट्रीट क्राइम टाला जा सकता है।
सड़कों पर पुलिसकर्मियों की अधिक से अधिक मुस्तैदी बढानी होगी
इसके अलावा अपराधियों के पुराने रिकार्ड पर पुलिस की हमेशा नजर रहनी चाहिए। कौन अपराधी जेल में बंद है और कौन बाहर है उस पर हमेशा नजर रखने की जरूरत है। समय-समय पर इसका सत्यापन किया जाना चाहिए। दिल्ली-एनसीआर की पुलिस के बीच आपसी समन्वय भी बहुत अहम कड़ी है। एक-दूसरे के इलाके के अपराधियों पर भी इनकी नजर होनी चाहिए। सड़कों पर होने वाले अपराध पर काबू पाने के लिए सड़कों पर पुलिसकर्मियों की अधिक से अधिक मुस्तैदी बढानी होगी। इसके लिए फोर्स में संख्या बल की स्थिति बढ़ाने की आवश्यकता है