नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क। सुल्तानपुरी के कंझावला में युवती की मौत मामले में एफएसएल (FSL) रोहिणी की टीम ने शुक्रवार को आरोपियों के ब्लड सैंपल की रिपोर्ट दिल्ली पुलिस को सौंप दी है। दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने बताया कि आरोपितों के लिए गए खून के सैंपल की रिपोर्ट से चला है कि कार में बैठे चारों आरोपियों ने शराब का सेवन किया था। साथ ही एफएसएल ने क्राइम सीन रिपोर्ट भी दिल्ली पुलिस को दे दी है। बता दें कि मृतक युवती की विसरा रिपोर्ट भी शुक्रवार को आ जाएगी।
आज 11 पुलिसकर्मियों पर गिरी गाज
कंझावला मामले को लेकर गृह मंत्रालय की ओर से सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए गए थे। इसी के बाद मामले में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई हुई है। जिन 11 पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है, उनमें दो उप निरीक्षक, चार सहायक उप निरीक्षक, चार हेड कॉन्सटेबल और एक कॉन्सटेबल शामिल हैं। निलंबित किए गए पुलिसकर्मियों में से 6 पुलिसकर्मी पीसीआर ड्यूटी पर तैनात थे। वहीं, पांच पुलिसकर्मी घटना के दिन पिकेट पर थे।
चलेगा हत्या का केस
31 दिसंबर की रात को कार के नीचे घसीटकर अंजलि की हत्या करने वाले आरोपियों के खिलाफ हत्या का केस चलेगा। दिल्ली की विशेष पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह की रिपोर्ट के बाद गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस को यह निर्देश दिया है। इसके साथ ही लापरवाही करने वाले पुलिस वालों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी।
जानिए पूरा मामला
एक जनवरी को तड़के तीन बजे करीब चार युवकों ने अंजलि को टक्कर मार दी थी, जिसके बाद युवती कार के नीचे फंस गई। उन्होंने उसे 13 किमी से ज्यादा सड़क पर घुमाया। चार किमी के रोड पर ही वो यू-टर्न लेते रहे और गड्ढों वाली जगह में घुमाते रहे।
आरोपितों ने पूछताछ में यह कुबूल किया कि एक जनवरी की तड़के ढाई बजे सुल्तानपुरी में स्कूटी को टक्कर मारते ही उन्हें पता लग गया था कि एक युवती कार के नीचे फंस गई है। इसलिए चालक ने घटनास्थल पर ही पहले कार को दो बार आगे और दो बार पीछे किया था ताकि युवती कार के नीचे से निकल जाए। आरोपितों ने कार से बाहर आकर युवती को इसलिए नीचे से नहीं निकालना चाहा क्योंकि उन्हें डर लगने लगा था कि कहीं हाथ लगाने पर उनपर हत्या का आरोप न लग जाए। इसलिए उन्होंने हाथ नहीं लगाया।
करीब डेढ़-दो घंटे तक चक्कर काटने के बाद कंझावला में यू-टर्न लेने के दौरान युवती जब कार के नीचे से निकल गई, तब आरोपी कार लेकर भाग गए।
कार में सिर्फ चार लोग सवार थे
पुलिस ने बताया कि एक जनवरी की रात बलेनो कार में केवल चार आरोपित ही सवार थे। दीपक खन्ना जिसने घटना के दौरान कार चलाने की जिम्मेदारी ली थी, वह कार में नहीं था। उसने पुलिस को गुमराह करने के लिए कार चलाने को जिम्मेदारी अपने ऊपर ली थी, क्योंकि उसके पास ड्राइविंग लाइसेंस है। पुलिस का कहना है कि दीपक इस मामले में गिरफ्तार है। इसलिए इससे केस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इसने पुलिस को गुमराह किया है। केस में आपराधिक साजिश रचने की धारा पहले से लगी हुई है।
छह जनवरी को सातवें आरोपित अंकुश खन्ना ने खुद ही पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है। छठे आरोपी आशुतोष को पुलिस ने इसी दिन गिरफ्तार किया था, यह कार का मालिक है। मामले में मनोज मित्तल, दीपक खन्ना, अमित खन्ना, कृष्णन और मिथुन पांचों आरोपित पहले ही गिरफ्तार हो गए थे।
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आशुतोष व अंकुश ने बताए थे बचने के रास्ते
दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) सागर प्रीत हुड्डा ने बताया कि गिरफ्तार आरोपित अमित असल में अंकुश का भाई है। घटना के बाद रास्ते से ही फोन कर उसने बता दिया था कि कार से कुचलकर एक युवती को मार डाला है। इसके बाद आशुतोष व अंकुश ने उसे बचने के तरीके बताए। दोनों ने पांचों आरोपितों को बचाने की कोशिश की थी।