नीट के रिजल्ट से छेड़छाड़ कर MBBS में दाखिले का मामला, आरोपित छात्रा के शैक्षणिक दस्तावेज जब्त

 

 

छात्रा ने नेट के परिणाम में गड़बड़ी कर मेडिकल कालेज चंबा में एमबीबीएस में प्रवेश का मामला।

मेडिकल कालेज चंबा की एक छात्रा ने नीट मार्क्सशीट से छेड़छाड़ कर 240 अंकों के 530 अंक बना लिए। जब प्रशिक्षुओं का डाटा नेशनल मेडिकल काउंसिल साइट पर अपलोड किया तो मामला पकड़ में आया। पुलिस ने आरोपित छात्रा के शैक्षणिक दस्तोवज कब्जे में लेकर छानबीन शुरू कर दी है।

चंबा, संवाद सहयोगी। नीट के परिणाम में गड़बड़ी कर मेडिकल कालेज चंबा में एमबीबीएस में प्रवेश पाने के मामले में पुलिस ने आरोपित छात्रा के शैक्षणिक दस्तोवज कब्जे में लेकर छानबीन शुरू कर दी है। आरोपित छात्रा जिला कांगड़ा के नूरपुर की रहने वाली है।

मेडिकल कालेज प्रबंधन ने छात्रा का दाखिला रद कर इस मामले की पुलिस चौकी चंबा में शिकायत दी है। पुलिस इस मामले की हर पहलू को ध्यान में रखकर जांच कर रही है।

यह है मामला 

छात्रा ने नीट की मार्क्सशीट से छेड़छाड़ कर 240 अंकों के 530 अंक बना लिए थे। जब प्रशिक्षुओं का डाटा नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) की साइट पर अपलोड किया तो मामला पकड़ में आया। आरोपित छात्रा के नीट के रोल नंबर को अपलोड किया जाने लगा तो उसका मिलान नहीं हुआ। इसके बाद एनएमसी ने चंबा मेडिकल कालेज प्रबंधन को इस बारे में सूचित किया।कालेज प्रबंधन ने छात्रा को बुलाकर उससे पूछताछ की तो उसने सारी सच्चाई बता दी। छात्रा ने पीडीएफ से छेड़छाड़ कर फर्जी डिग्री तैयार की थी। वर्तमान में मेडिकल कालेज चंबा में 120 प्रशिक्षुओं का बैच चल रहा है। 119 प्रशिक्षु डाक्टरों का डाटा मिलान कर गया लेकिन नूरपूर की छात्रा के डाटे का मिलान नहीं हुआ।

सभी दस्तावेज पुलिस को सौंप दिया गए

चंबा मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. पंकज गुप्ता ने कहा की नीट के परिणाम के प्रमाणपत्र में मेडिकल कालेज चंबा में शिक्षा ग्रहण कर रही एक छात्रा ने छेड़छाड़ की थी। मामले से संबंधित सभी दस्तावेज पुलिस को सौंप दिया गए हैं। ।

चंबा के एसपी अभिषेक यादव ने मामले से जुड़े सभी शैक्षणिक दस्तावेजों को खंगाला जा रहा है। जांच पूरी होने के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा मेडिकल कालेज से कुछ जरूरी रिकार्ड भी मांगा है।

दो माह तक कालेज प्रबंधन को नहीं चला पता

मेडिकल कालेज में दाखिला लेने के बाद उक्त छात्रा करीब दो माह तक एमबीबीएस की शिक्षा ग्रहण करती रही। हैरानी की बात यह है कि किसी को भी इस बारे में भनक तक नहीं लगी। यदि मेडिकल कालेज की ओर से प्रमाणपत्रों को अपलोड करने में और समय लगता तो यह फर्जीवाड़ा और देर से पकड़ में आता।