![मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ का आदेश।](https://www.jagranimages.com/images/newimg/05012023/05_01_2023-supreme-court1637135271223_23284261.webp)
Supreme Court News सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के डीजी जेल को दोषियों को छूट पर रिहा करने के लिए उठाए गए कदमों से अवगत कराने का निर्देश दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है।
नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश के जेल महानिदेशक से राज्य में दोषियों को समयपूर्व रिहाई देने के मामले में व्यक्तिगत तौर पर एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है। एससी ने यूपी में दोषियों को सजा से छूट का लाभ देने के लिए अब तक उठाए गए कदमों का ब्योरा मांगा गया है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कई निर्देश जारी करते हुए राज्य से यह जानकारी देने को कहा कि प्रत्येक जिले में कितने दोषी हैं, जो समय से पहले रिहाई के पात्र हैं।
लंबित मामलों का विवरण भी मांगा
न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और डीवाई चंद्रचूड़ वाली पीठ ने कहा कि इससे संबंधित मामले के फैसले के बाद से कितने मामलों पर समय से पहले रिहाई के लिए विचार किया गया है, इसकी जानकारी दें। शीर्ष अदालत ने राज्य के अधिकारियों के पास छूट के लंबित मामलों का विवरण और इन मामलों पर कब तक विचार किया जाएगा, इसका विवरण भी मांगा।
DG जेल को तीन सप्ताह में देने होगा हलफनामा
उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को नोटिस जारी करते हुए खंडपीठ ने आदेश दिया कि जेल महानिदेशक को तीन सप्ताह की अवधि के भीतर आवश्यक जानकारी देते हुए अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करना होगा। अदालत ने इसकी सहायता के लिए वकील ऋषि मल्होत्रा को एमिकस क्यूरी (अदालत का मित्र) भी नियुक्त किया।500 दोषियों की रिहाई पर दिया था ये फैसला
बता दें कि शीर्ष अदालत ने इससे संबंधित एक मामले के फैसले में उत्तर प्रदेश में आजीवन कारावास की सजा काट रहे लगभग 500 दोषियों की रिहाई पर असर डालने वाले कई निर्देश जारी किए थे। फैसले में कहा गया था कि आजीवन दोषियों की समयपूर्व रिहाई के सभी मामलों पर राज्य की अगस्त 2018 की नीति के अनुसार विचार किया जाएगा। शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि दोषियों को समय से पहले रिहाई के लिए आवेदन जमा करने की कोई आवश्यकता नहीं है, और उनके मामलों पर जेल अधिकारियों द्वारा स्वत: विचार किया जाएगा।
चार महीने में रिहाई पर हो फैसला
फैसले में कहा गया था कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को योग्य दोषियों की रिहाई के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए और जिन मामलों में रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है, संबंधित अधिकारियों को एक महीने के भीतर इससे निपटना चाहिए। इसने कहा था कि सभी पात्र आजीवन दोषियों की समयपूर्व रिहाई पर चार महीने की अवधि के भीतर विचार किया जाना चाहिए।