देशभर के मेडिकल कॉलेजों में पिछले साल कम हुई रैगिंग की शिकायतें

नई दिल्ली, प्रेट्र। भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआइ) को शैक्षणिक सत्र 2019-20 के दौरान मेडिकल कॉलेजों में सीनियर छात्रों द्वारा जूनियर छात्रों की रैगिंग किए जाने की अब तक छह शिकायतें मिली हैं, जबकि पिछले सत्र में यह संख्या 13 और इससे पहले 25 थी। चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र की मुख्य नियामक इकाई एमसीआइ के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन सत्र के दौरान रैगिंग की शिकायतों में हर साल कमी दर्ज की गई है।


इसके तहत इस सत्र में अब तक छह शिकायतें मिली हैं। इनमें रैगिंग के दौरान मुंबई के एक मेडिकल कॉलेज में बहुत अधिक सताए गए छात्र द्वारा खुदकशी करने का मामला भी शामिल है। हाल ही में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने लोकसभा में बताया था कि सरकार मेडिकल कॉलेजों में रैगिंग की समस्या से अवगत है। इसे रोकने के लिए एमसीआइ के माध्यम से कई कदम उठाए गए हैं। सरकार ने एमसीआइ कानून में संशोधन कर 2009 में रैगिंग को प्रतिबंधित कर दिया था।


मंत्री ने आगे कहा, प्रवेश के नए बैच की शुरुआत करने से पहले सभी मेडिकल कॉलेजों को सर्कुलर जारी किया जाता है कि वे कॉलेज में एंटी-रैगिंग कमेटी की संरचना के बारे में जानकारी दें, जिसमें सदस्यों के नाम के साथ उनके टेलीफोन नंबर और ई-मेल आईडी और कथित तौर पर रैगिंग की घटनाएं और कार्रवाई की गई हार्ड/सॉफ्ट कॉपी में, यदि कोई हो।


उन्हें दर्ज एफआईआर की संख्या, यदि कोई हो, सजा दी गई है, प्रवेश ब्रोशर, प्रोस्पेक्टस, पुस्तिकाओं में एंटी-रैगिंग पर विशिष्ट जानकारी शामिल करने, कॉलेज, अस्पताल और सभी कमजोर स्थानों पर सीसीटीवी कैमरों की स्थापना के बारे में विवरण देने के लिए कहा गया है।मेडिकल कॉलेजों को भी NAAC मान्यता प्राप्त करनी होगी और मेडिकल कॉलेज / छात्रावास के विभिन्न हिस्सों में एंटी-रैगिंग पोस्टर और होर्डिंग्स लगाने होंगे।इसके अलावा, एमसीआई ने अपनी वेबसाइट पर चार शॉर्ट फिल्मों और रैगिंग के दुष्प्रभावों के बारे में छात्रों की जानकारी और परामर्श के लिए एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म के बारे में एक लिंक प्रदान किया है, चौबे ने कहा।