कोर्बेवैक्स टीके के विकास में डा. डैंग्स लैब ने निभाई थी महत्‍वपूर्ण भूमिका, मंजूरी देने के लिए DCGI को दिया धन्‍यवाद

 

डा. डैंग्स लैब के सीईओ डा. अर्जुन डैंग ने DCGI के कदम का स्वागत किया है।
डा. डैंग्स लैब के सीईओ डा. अर्जुन डैंग ने DCGI के कदम का स्वागत किया है। उन्‍होंने कहा कि वे कार्बेवैक्स वैक्सीन के लिए सेंट्रल लैब के तौर पर हम इस महत्वपूर्ण यात्रा का हिस्सा बनकर बहुत गर्व महसूस कर रहे हैं।

नई दिल्‍ली, एएनआइ। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (Drug Controller General of India, DCGI) ने मंगलवार को सीरम इंस्टीट्यूट की कोविड रोधी वैक्‍सीन कोवोवैक्स और बायोलाजिकल-ई की कोर्बेवैक्स शर्तों के साथ आपात स्थिति में इस्‍तेमाल की इजाजत दी थी। इसके साथ ही डीसीजीआइ ने एक एंटी वायरल दवा मोलनुपिराविर (गोली) के आपात इस्‍तेमाल को भी मंजूरी दी थी। डा. डैंग्स लैब के सीईओ डा. अर्जुन डैंग ने DCGI के कदम का स्वागत किया है। उन्‍होंने कहा कि वे कार्बेवैक्स वैक्सीन के लिए सेंट्रल लैब के तौर पर हम इस महत्वपूर्ण यात्रा का हिस्सा बनकर बहुत गर्व महसूस कर रहे हैं। डा. अर्जुन ने कहा कि डा. डैंग्स लैब में कार्बेवैक्स टीके के तीनों चरणों के ट्रायल में स्क्रीनिंग और सुरक्षा व इम्यूनोजेनेसिटी टेस्ट हुए। डैंग्स लैब ने कार्बेवैक्स के सभी तीन चरणों के लिए स्क्रीनिंग, सुरक्षा और कई इम्युनोजेनेसिटी परीक्षण किए जो बहु-केंद्रित थे। डैंग्स लैब ने निर्बाध परियोजना प्रबंधन, समय पर परिणाम प्रस्तुत करना, सटीक प्रयोगशाला परख और कुशल जैव-भंडार प्रबंधन सुनिश्चित किया।

डा. अर्जुन ने कहा कि हमारी प्रयोगशाला में हर क्षेत्र के प्रख्यात विशेषज्ञ हैं। इन लोगों ने सुरक्षित और प्रभावी कोविड-19 वैक्सीन के विकास के लिए समय पर काम पूरा किया। उल्‍लेखनीय है कि कार्बेवैक्स तीसरी स्‍वदेशी वैक्सीन है। इससे पहले देश में भारत बायोटेक की कोवैक्‍सीन और जायडस कैडिला के जायकोव-डी के कोविड-19 रोधी टीके को अनुमति दी जा चुकी है।

मालूम हो कि कोर्बेवैक्स वैक्सीन को हैदराबाद की कंपनी बायोलाजिकल-ई ने बनाया है और भारत सरकार जून में ही कंपनी को 1,500 करोड़ रुपए का अग्रिम भुगतान कर चुकी है। बायोलाजिकल-ई ने दिसंबर तक 30 करोड़ डोज की आपूर्ति करने का वादा किया था लेकिन ट्रायल में देरी से इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत मिलने में देरी हो गई। कोरोना के खिलाफ यह दुनिया में अपनी तरह की पहली वैक्सीन है, जो कोरोना वायरस के रिसेप्टर बाइंडिग डोमेन (आरबीडी) के सब-प्रोटीन पर आधारित है।