जल्द ही दिल्ली की सड़कों पर डीटीसी बसें चलाती नजर आएंगी महिलाएं, बुराड़ी में चल रहा प्रशिक्षण, जानिए कितनी महिलाएं ले रही ट्रेनिंग

 

दिल्ली सरकार अपने खर्च पर दिला रही है प्रशिक्षण-महिलाओं को आत्मनिर्भर और मजबूत बनाना उद्देश्य।

अभी 38 महिलाएं बस चलाने का प्रशिक्षण ले रही हैं। सरकार इन्हें प्रशिक्षण दिला रही है। इसका उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर और मजबूत बनाना है। इन महिलाओं में एचएमवी लाइसेंसधारक तुलसी भी शामिल हैं जिन्होंने महिला बस चालकों के लिए पात्रता मानदंड में बदलाव के लिए लड़ाई लड़ी है।

नई दिल्ली surender Aggarwal । परिवहन विभाग ने शुक्रवार को बुराड़ी में अपने ड्राइवर प्रशिक्षण संस्थान में भारी मोटर वाहन (एचएमवी) लाइसेंस हासिल करने के लिए महिलाओं के लिए एक महीने का मुफ्त प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है। इससे अधिक से अधिक संख्या में महिलाएं दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की बस चलाने में सक्षम होंगी। जो महिलाएं ड्राइविंग प्रशिक्षण ले रही हैं, वह बस चलाने के नए काम के बारे में सोचकर बेहद खुश हैं।

प्रशिक्षण ले रहीं मदनपुर खादर की पिंकी और रेखा के साथ परवीन इस नए काम की शुरुआत करने को लेकर बेहद उत्सुक हैं। उनका कहना है कि बस चलाएंगी, तो अच्छा लगेगा। लोग भी कहेंगे- देखो, महिला बस चला रही है। बस चलाने का उनका सपना बहुत जल्द पूरा होने जा रहा है। दैनिक जागरण से बातचीत में इन महिलाओं ने कहा कि वह किसी से कम नहीं हैं। वह बस की स्टेयरिंग संभालने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। प्रशिक्षण पूरा होते ही उन्हें दिल्ली में बस चलाने का अवसर मिलेगा।

बता दें कि अभी 38 महिलाएं बस चलाने का प्रशिक्षण ले रही हैं। सरकार अपने खर्च पर इन्हें प्रशिक्षण दिला रही है। इसका उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर और मजबूत बनाना है। इन महिलाओं में एचएमवी लाइसेंसधारक तुलसी भी शामिल हैं जिन्होंने महिला बस चालकों के लिए पात्रता मानदंड में बदलाव के लिए लड़ाई लड़ी है। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि सरकार ने महिलाओं के लिए प्रशिक्षण की सुविधा दी है। यह कई महिलाओं को नई दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेगा और उन धारणाओं को दूर करेगा कि महिलाएं अच्छी ड्राइवर नहीं होती हैं।

उन्होंने कहा कि मेरे पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस है, लेकिन लंबाई के मानदंड पूरी न कर पाने के कारण नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर सकी। उन्होंने कहा कि मैंने 10 अन्य महिलाओं के साथ कई पत्र लिखकर परिवहन मंत्री से मानदंड में ढील देने का अनुरोध किया। मुझे खुशी है कि आखिरकार ड्राइवर बनने का हमारा सपना साकार हो रहा है। इसी तरह मूल रूप से छत्तीसगढ़ की रहने वाली, लेकिन यहां बदरपुर इलाके में रह रही लता लाठौर वर्ष 2019 से दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर टैक्सी चला रही हैं। अब बस चलाने की तैयारी में हैं। उन्होंने कहा कि मई तक बस चलाने का प्रशिक्षण पूरा हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि बस चलाने में कोई कठिनाई नहीं होगी, क्योंकि पहले से ही टैक्सी चला रही हैं। उन्होंने कहा कि बस चलाने के बारे में सोचकर अच्छा लग रहा है, क्योंकि यह थोड़ा नया काम होगा। मूल रूप से कानपुर के पास तेरवा ओरैया गांव की निवासी, लेकिन यहां बदरपुर में माता-पिता के साथ रहकर कैब चलाने वाली प्रीति ने कहा कि वह अन्य महिलाओं के लिए मिसाल कायम करना चाहती हैं। दरअसल, प्रीति के माता-पिता उनके इस पेशे के खिलाफ थे, क्योंकि उनका मानना था कि यह काम एक महिला के लिए उपयुक्त नहीं है, लेकिन वह नहीं मानीं।

प्रीति ने कहा कि वह अपनी कालोनी में अकेली महिला कैब ड्राइवर हैं। वह कहती हैं, अब मेरे माता-पिता को गर्व महसूस होता है कि उनकी बेटी बस चलाएगी। उन्होंने कहा कि मैं भी इसी साल ग्रेजुएशन भी पूरा कर लूंगी। उन्होंने कहा कि मैं नहीं चाहती कि लोग कहें कि बस चालक अशिक्षित है। प्रशिक्षु चालक पिंकी ने कहा, मैं आर्थिक तंगी के कारण 12वीं के बाद पढ़ाई नहीं कर पाई, इसलिए मैंने एक कैब सर्विस ज्वाइन कर ड्राइविंग सीखी। मैं अभी भी वहां काम करती हूं। मैं बस ड्राइवर बनना चाहती थी, लेकिन बुराड़ी में प्रशिक्षण शुल्क महंगा था। जब मुझे पता चला कि सरकार मुफ्त में प्रशिक्षण दे रही है, तो मैंने आवेदन किया।

महिला बस चालकों के लिए मानदंडों में किया गया है बदलाव

संशोधित मानदंड के अनुसार महिला ड्राइवर की नौकरी के लिए आवेदन करने के लिए किसी पूर्व अनुभव की जरूरत नहीं है। न्यूनतम लंबाई भी 159 सेमी से घटाकर 153 सेमी कर दी गई है। केवल न्यूनतम एक महीने का प्रशिक्षण ही अनिवार्य शर्त है, जिसके बाद एक परीक्षण किया जाएगा। अशोक लीलैंड लिमिटेड के सहयोग से 180 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाना है।